Edited By Mamta Yadav,Updated: 02 Mar, 2022 11:07 AM
मंगलवार को ताजमहल में मुगल शहंशाह शाहजहां के 367 वें उर्स के तीसरे और अंतिम दिन खुद्दाम-ए-रोजा कमेटी की ओर ने हिन्दुस्तानी सतरंगी कपड़े की 1381 मीटर लम्बी चादर चढ़ाई गयी। इस सतरंगी चादर से ताजमहल में सतरंगी छटा छाई रही।
आगरा: मंगलवार को ताजमहल में मुगल शहंशाह शाहजहां के 367 वें उर्स के तीसरे और अंतिम दिन खुद्दाम-ए-रोजा कमेटी की ओर ने हिन्दुस्तानी सतरंगी कपड़े की 1381 मीटर लम्बी चादर चढ़ाई गयी। इस सतरंगी चादर से ताजमहल में सतरंगी छटा छाई रही। प्रात: से प्रवेश होने से अकीदतमंदों और पर्यटकों की भीड़ उमडऩे से भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के कर्मचारियों और केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल के जवानों को भीड़ को नियंत्रित करने में काफी मेहनत करनी पड़ी। ताजमहल में प्रवेश के लिए आधा किलोमीटर से अधिक लम्बी कतार में पर्यटकों और अकीदतमंदों को लगना पड़ा।
मुगल शहंशाह शाहजहां का तीन दिवसीय उर्स रविवार को गुस्ल की रस्म के साथ शुरू हुआ था। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने भी चादरपोशी की। मुख्य मकबरे के द्वार पर कव्वालों ने कव्वालियां प्रस्तुत कीं। रॉयल गेट पर शहनाई गूंजती रही। स्मारक में सुबह से निशुल्क प्रवेश होने से बड़ी संख्या में स्थानीय पर्यटक पहुंचने शुरू हो गये।
मुख्य आकर्षण का केंद्र दोपहर ढाई बजे खुद्दाम-ए-रोजा कमेटी द्वारा चढ़ाई जाने वाली हिन्दुस्तानी सतरंगी कपड़े की 1381 मीटर लम्बी चादर रही, जो कि हनुमान मंदिर चौक से शुरू होकर ताजमहल के दक्षिणी गेट पहुंची। दक्षिणी गेट से पर्यटकों का प्रवेश निषिद्ध होने से केवल चादर ही अंदर स्मारक में आई। ताजमहल के पूर्वी व पश्चिमी गेट से अंदर पहुंचे अकीदतमंदों उसे मुख्य मकबरे तक ले गये। सतरंगी चादर का एक छोर दक्षिणी गेट पर था तो दूसरा मुख्य मकबरे पर।