Edited By Harman Kaur,Updated: 31 Jan, 2023 06:04 PM

गोस्वामी तुलसीदास (Goswami Tulsidas) द्वारा रचित रामचरितमानस (Ramcharitmanas) की एक चौपाई पर अमर्यादित टिप्पणी करने वाले समाजवादी पार्टी (सपा) नेता स्वामी प्रसाद मौर्य की आलोचना करते....
प्रयागराज: गोस्वामी तुलसीदास (Goswami Tulsidas) द्वारा रचित रामचरितमानस (Ramcharitmanas) की एक चौपाई पर अमर्यादित टिप्पणी करने वाले समाजवादी पार्टी (सपा) नेता स्वामी प्रसाद मौर्य की आलोचना करते हुए संस्कृत महाविद्यालय के आचार्य सरस्वती प्रसाद पांडेय ने कहा कि किसी भी धर्म ग्रंथ का अपमान करना निंदनीय है।

'राजनीति के लिए किसी भी धर्म या धार्मिक पुस्तक का अपमान करना निंदनीय है'
माघ मेला क्षेत्र में राधा कृष्ण गौरी शंकर संस्कृत महाविद्यालय के आचार्य सरस्वती प्रसाद पाण्डेय ने मंगलवार को कहा कि राजनीति के लिए किसी भी धर्म या धार्मिक पुस्तक का अपमान करना निंदनीय है। जनप्रतिनिधि को बहुत ही शिष्ट और सूझबूझ के साथ वक्तव्य देने चाहिए जिससे जनमानस में उन्माद-उत्तेजना एवं नफरत नहीं फैले। उनका अशिष्ट बयान उनकी छवि के साथ उनकी पार्टी के लिए भी नुकसानदायक है।
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मौर्य की अमर्यादित टिप्पणी से संत समाज नाराज
आचार्य ने कहा कि हालांकि उन्हें राजनीति से कोई लेना देना नहीं है लेकिन ‘‘रामचरितमानस'' जैसे पवित्र ग्रंथ पर कोई भी अमर्यादित टिप्पणी करे, यह बर्दाश्त भी नहीं किया जाएगा। उन्होंने दावा किया कि किसी भी सम्प्रदाय का व्यक्ति हो, अगर अपने ही धर्म और धार्मिक ग्रंथ को लेकर अमर्यादित टिप्पणी करता है, निश्चित ही वह राष्ट्र के प्रति वफादार नहीं हो सकता है। वह व्यक्ति स्वार्थी होता है, और स्वार्थी किसी का सगा नहीं होता। स्वामी प्रसाद के अमर्यादित टिप्पणी से संत समाज भी कुपित है। उन्होंने कहा कि गोस्वामी तुलसीदास द्वारा 16वीं सदी में रचित प्रसिद्ध ग्रन्थ है। इस ग्रन्थ को अवधी साहित्य (हिंदी साहित्य) की एक महान कृति माना जाता है। यह भारतीय संस्कृति में एक विशेष स्थान रखता है।

'एकता की भावना जागृत करना चाहिए ना कि बयानबाजी कर लोगों में राग और द्वेष पैदा करे'
रामचरितमानस की आड़ में राजनीतिक रंग-रूप दु:खद एवं दुर्भाग्यपूर्ण है और इनके नापाक इरादे कभी सफल नहीं होंगे। आचार्य ने बताया कि रामायण में राम को एक आदर्श चरित्र मानस के रूप में दिखाया गया है, जो सम्पूर्ण मानव समाज को सिखाता है कि जीवन को किस प्रकार जिया जाय भले ही उसमे कितने भी विघ्न हों। एक अच्छे और मर्यादित नेता को जाति, धर्म और राजनीति से ऊपर उठकर आम जनमानस में प्रेम एवं सौहार्द का वातावरण पैदा कर एकता की भावना जागृत करना चाहिए ना कि बयानबाजी कर लोगों में राग और द्वेष पैदा करे।