गंगा जल के नियमित प्रयोग से 90 प्रतिशत लोग कोरोना से सुरक्षित !, जल्द शुरू हो सकता है परीक्षण

Edited By Umakant yadav,Updated: 21 Sep, 2020 11:51 AM

90 percent people safe from corona due to regular use of ganga water

विश्व के एक अंतरराष्ट्रीय जर्नल में गंगा जल से कोविड-19 के इलाज की संभावना पर क्लिनिकल डेटा के साथ लेख प्रकाशित होने के साथ बीएचयू में गंगा जल से कोरोना वायरस के इलाज का परीक्षण अगले सप्ताह शुरू होने की उम्मीद है।

प्रयागराज: विश्व के एक अंतरराष्ट्रीय जर्नल में गंगा जल से कोविड-19 के इलाज की संभावना पर क्लिनिकल डेटा के साथ लेख प्रकाशित होने के साथ बीएचयू में गंगा जल से कोरोना वायरस के इलाज का परीक्षण अगले सप्ताह शुरू होने की उम्मीद है।

संभावना सही हुई तो कोरोना वायरस का दुनिया में सबसे सस्ता इलाज होगा: प्रोफेसर  
काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में न्यूरोलॉजी के प्रोफेसर विजय नाथ मिश्रा ने बताया कि इंटरनेशनल जर्नल ऑफ माइक्रोबायोलॉजी में पहली बार गंगा जल से किसी खास बीमारी के इलाज को लेकर शोधपत्र प्रकाशित की गई है। उन्होंने कहा कि इस शोध में यह नयी हाइपोथेसिस (वैज्ञानिक सोच) की गई कि कैसे गंगा जल से कोरोना वायरस का इलाज हो सकता है। अगर यह संभावना सही हुई जिसकी उम्मीद जताई जा रही है तो यह कोरोना वायरस का दुनिया में सबसे सस्ता इलाज होगा। जर्नल में प्रकाशन के साथ कोविड-19 के 200 मरीजों पर क्लिनिकल ट्रायल (चिकित्सकीय परीक्षण) अगले हफ्ते शुरू होने की उम्मीद है।

गंगा जल बैक्टीरिया के साथ ही खतरनाक वायरस को भी नष्ट कर सकता है
प्रोफेसर मिश्रा ने कहा, हमने वाराणसी में ऐसे 274 लोगों का विश्लेषण किया जो प्रतिदिन गंगा स्नान करते और गंगा जल पीते थे। इनमें से एक भी व्यक्ति में कोरोना वायरस का संक्रमण नहीं पाया गया। वहीं, गंगा स्नान नहीं करने वाले 220 लोगों में 20 लोग कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए। अंतरराष्ट्रीय जर्नल में 19 सितंबर को प्रकाशित समीक्षा लेख के मुताबिक, हिमालय से निकलने वाली नदी गंगा के जल में बहुत अधिक मात्रा में बैक्टीरियो फॉज नाम का वायरस पाया जाता है जो बैक्टीरिया के साथ ही खतरनाक वायरस को भी नष्ट कर सकता है। इस समीक्षा में हमारी वैज्ञानिक सोच है कि गंगा जल कोविड-19 के इलाज में एक उपचारात्मक भूमिका निभा सकता है।

बीएचयू के डॉक्टरों की टीम ने गंगा जल का एक नैजल ड्राप किया तैयार
जर्नल के निष्कर्ष में कहा गया है कि यदि प्रयोगशाला के अध्ययन के शानदार नतीजे आते हैं तो क्लिनिकल अध्ययन करना संभव होगा। इलाहाबाद उच्च न्यायालय में गंगा नदी पर एमिकस क्यूरी (न्याय मित्र) अरुण गुप्ता ने कहा कि गंगा जल से कोविड-19 के इलाज की संभावना को विश्व के सबसे प्रतिष्ठित जर्नल में प्रकाशित किया जाना वास्तव में भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के गाल पर तमाचा है जिसने इस परियोजना को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि इसके क्लिनिकल डेटा नहीं हैं। उन्होंने कहा कि आईसीएमआर के इनकार के बाद डॉक्टर विजय नाथ मिश्रा की अगुवाई में पांच डॉक्टरों की टीम ने यह क्लिनिकल डेटा तैयार किया है जिसे जुलाई में जर्नल के पास भेजा गया और अब यह प्रकाशित हो चुका है। गुप्ता ने बताया कि बीएचयू के डॉक्टरों की टीम ने गंगा जल का एक नैजल ड्राप बनाया है जिसका मूल्य 20-30 रुपये है और क्लिनिकल ट्रायल में इसका उपयोग किया जाएगा।

 

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