Edited By Ajay kumar,Updated: 13 Oct, 2019 02:20 PM
उत्तर-प्रदेश में बढ़ रहे टेरर फंडिंग मामले में एटीएस और स्थानीय पुलिस ने लखीमपुर खीरी से चार अपराधियों को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार हुए चारों अपराधियों के पास से भारतीय व नेपाली मुद्रा भी बरामद की गई है। इसके अलावा कई सेलफोन भी इनके कब्जे से...
लखीमपुर खीरी: उत्तर-प्रदेश में बढ़ रहे टेरर फंडिंग मामले में एटीएस और स्थानीय पुलिस ने लखीमपुर खीरी से चार अपराधियों को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार हुए चारों अपराधियों के पास से भारतीय व नेपाली मुद्रा भी बरामद की गई है। इसके अलावा कई सेलफोन भी इनके कब्जे से बरामद हुए हैं। गिरफ्तार हुए लोगों में 2 बरेली जबकि 2 लखीमपुर खीरी के तिकुनिया इलाके के रहने वाले हैं। ये 4 अभियुक्त विदेश से नेपाल की बैंकों में आने वाले धन को भारतीय मुद्रा में तब्दील करा कर खीरी के रास्ते से देशभर में भेजते थे। इस पैसे का उपयोग आतंकवादी संगठनों में भी इस्तेमाल किया जाता था।
शुक्रवार को पुलिस मुख्यालय में डीजीपी ओपी सिंह ने प्रेसवार्ता में बताया कि पुलिस को सूचना मिली थी कि कुछ लोग नेपाल से अवैध रूप से धन मंगाकर भारत में आतंकी गतिविधियों में शामिल लोगों तक पहुंचा रहे हैं। 10 अक्टूबर को फिर से सूचना मिली कि काफी मात्रा में नेपाल से धनराशि लाई जा रही है। इस सूचना के आधार पर एटीएस और स्थानीय पुलिस की संयुक्त टीम ने उम्मेद अली तथा समीर सलमानी निवासी बरेली, संजय अग्रवाल तथा एजाज अली निवासी लखीमपुर खीरी को गिरफ्तार कर लिया। उमेद अली के कब्जे से 2 लाख नगद भारतीय मुद्रा, संजय अग्रवाल के कब्जे से एक लखा 35 हजार नेपाली मुद्रा, समीर सलमानी के पास से 1 लाख 50 हजार भारतीय मुद्रा और अली के कब्जे से 1 लाख भारतीय मुद्रा बरामद की गई है।
अभियुक्त विदेशी मुद्रा को नेपाल के बैंकों में जमा करवाते थे: ओ.पी.सिंह (डीजीपी, उत्तर-प्रदेश)
डीजीपी ने बताया कि पूछताछ में इन लोगों ने बताया कि मुमताज, फहीम, सिराजुद्दीन और सदाकत अली के कहने पर यह काम कमीशन लेकर करते थे। ये अभियुक्त विदेशी मुद्रा को नेपाल के बैंकों में जमा करवाते थे। इसके बाद वहां के किसी खाताधारक से जमा की गई रकम को निकलवाकर भारत लाते थे। यहां नेपाली मुद्रा को भारतीय मुद्रा में बदलकर दिया जाता था। इस कार्य में अभियुक्तों को 6फीसदी कमीशन मिलता था। अभियुक्तों ने बताया कि ये धन बरेली निवासी फईम और सदाकत को दिया जाता था और उनसे कमीशन ले लिया जाता था। साथ ही फईम और सदाकत इस रकम को दिल्ली पहुंचाते थे।