डॉक्टर ने बचाई बेटी की जान, अब उसी की तस्वीर लेकर कांवड़ में ला रहा जल — पिता ने मान लिया भगवान!

Edited By Anil Kapoor,Updated: 21 Jul, 2025 07:01 AM

when the doctor gave life to his daughter the father accepted her as god

Baghpat News: कभी-कभी जिंदगी में एक ऐसा पल आता है जो इंसान की सोच, आस्था और जीवन का रास्ता ही बदल देता है। बड़ौत कस्बे के रहने वाले विशाल भारद्वाज के साथ कुछ ऐसा ही हुआ, जब उनकी नवजात बेटी की जान खतरे में थी और एक डॉक्टर ने उसे बचाकर......

Baghpat News: कभी-कभी जिंदगी में एक ऐसा पल आता है जो इंसान की सोच, आस्था और जीवन का रास्ता ही बदल देता है। बड़ौत कस्बे के रहने वाले विशाल भारद्वाज के साथ कुछ ऐसा ही हुआ, जब उनकी नवजात बेटी की जान खतरे में थी और एक डॉक्टर ने उसे बचाकर पूरा परिवार बदल दिया।

पैदा होते ही जिंदगी और मौत से जूझ रही थी बेटी
मिली जानकारी के मुताबिक, विशाल भारद्वाज की बेटी समय से पहले यानी प्रीमैच्योर पैदा हुई थी। जन्म के तुरंत बाद ही उसकी तबीयत बिगड़ गई। हालत इतनी नाजुक थी कि कई डॉक्टरों ने जवाब दे दिया। परिवार की उम्मीदें टूट चुकी थीं, लेकिन बड़ौत के एक निजी अस्पताल में कार्यरत डॉ. अभिनव तोमर ने हार नहीं मानी।

डॉ. अभिनव ने लौटाई परिवार की खुशी
डॉ. अभिनव ने ना सिर्फ उस नन्हीं बच्ची का इलाज किया, बल्कि उसकी जान भी बचा ली। अब वह बेटी पूरी तरह स्वस्थ है। इस चमत्कारिक अनुभव ने विशाल भारद्वाज को झकझोर कर रख दिया और उन्होंने डॉक्टर अभिनव को अपना 'भगवान' मान लिया।

कांवड़ पर लगाई डॉक्टर की तस्वीर
विशाल इस साल कांवड़ यात्रा पर निकले हैं, लेकिन उनकी कांवड़ कुछ अलग है। उन्होंने हरिद्वार से 31 लीटर जल उठाया है और अपनी कांवड़ पर किसी भगवान की नहीं, बल्कि डॉ. अभिनव तोमर की तस्वीर लगाई है। कांवड़ में डॉक्टर की फोटो देखकर राह चलते लोग हैरान हो जाते हैं। जब लोग पूछते हैं कि ये किसकी फोटो है, तो विशाल मुस्कुराकर जवाब देते हैं, "यही हैं जिन्होंने मेरी बेटी को जिंदगी दी है।"

हर साल डॉक्टर के नाम पर चढ़ाएंगे कांवड़
विशाल ने बताया कि वो इस बार 31 लीटर जल लेकर आ रहे हैं, लेकिन अगले साल 51 लीटर जल लेकर आएंगे और हर साल डॉ. अभिनव के नाम पर कांवड़ यात्रा करेंगे। विशाल भारद्वाज ने बताया कि  जब बेटी पैदा हुई थी तो हालत इतनी खराब थी कि लग रहा था अब कुछ नहीं बचा। डॉक्टर साहब ने ही उसे नया जीवन दिया। अब हर साल मैं उनके लिए जल चढ़ाऊंगा।

भावुक कर देने वाली श्रद्धा की मिसाल
बागपत की यह कहानी बताती है कि इंसानियत और सेवा की भावना कैसे किसी को ईश्वर के बराबर बना सकती है। इस अनोखी कांवड़ यात्रा ने ना केवल लोगों को भावुक किया, बल्कि डॉक्टरों के प्रति समाज की सोच को भी एक नई दिशा दी है।

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