Edited By Ramkesh,Updated: 22 Aug, 2024 12:59 PM
उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री बसपा सुप्रीमो मायावती ने उच्चतम न्यायालय द्वारा अनुसूचित जातियों के उप-वर्गीकरण के संबंध में दिए गए फैसले के खिलाफ एक दिवसीय राष्ट्रव्यापी हड़ताल में शामिल सभी समर्थकों और कार्यकताओं को बधाई दी है। उन्होंने X पर...
लखनऊ: उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री बसपा सुप्रीमो मायावती ने उच्चतम न्यायालय द्वारा अनुसूचित जातियों के उप-वर्गीकरण के संबंध में दिए गए फैसले के खिलाफ एक दिवसीय राष्ट्रव्यापी हड़ताल में शामिल सभी समर्थकों और कार्यकताओं को बधाई दी है। उन्होंने X पर पोस्ट कर कहा मा. सुप्रीम कोर्ट के SC/ST आरक्षण के वर्गीकरण व क्रीमीलेयर के निर्णय से उत्पन्न रोष को लेकर कल हुए भारत बंद में बीएसपी की प्रभावी भागीदारी एवं एकजुटता की अपील से इसके सफल होने की सभी को बधाई, किन्तु कांग्रेस-सपा आदि के इसके प्रति उदासीन रवैये से इनकी जातिवादी सोच प्रमाणित।
आरक्षण के मुद्दे की संवेदनशीलता को गंभीरता से ले सरकार
उन्होंने कहा कि कल बंद के दौरान पटना/बिहार में निर्दोष लोगों पर पुलिस की हुई लाठीचार्ज/बर्बरता अति-दुखद व निन्दनीय। सरकार दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई करे। साथ ही, केन्द्र सरकार ’भारत बंद’ के आयोजन के मद्देनजर आरक्षण के मुद्दे की संवेदनशीलता को गंभीरता से लेकर इसका शीघ्र उचित समाधान भी करे।
यह लड़ाई खुद ही अपने बल पर लड़नी होगी- मायावती
मायावती ने कहा कि करने की सपा, कांग्रेस व भाजपा आदि के षडयंत्रों से ये लोग कितने अधिक आक्रोशित हैं यह कल के भारत बंद से साबित है। आगे भी उन्हें यह लड़ाई खुद ही अपने बल पर लड़नी होगी तभी सही सफलता।
कोटा में कोटा के फैसले के खिलाफ दलित संगठनों ने किया था एक दिवसीय हड़ताल
आप को बता दें कि उच्चतम न्यायालय द्वारा अनुसूचित जातियों के उप-वर्गीकरण के संबंध में दिए गए फैसले के खिलाफ दलित और आदिवासी समूहों द्वारा आहूत एक दिवसीय राष्ट्रव्यापी हड़ताल से बिहार और झारखंड के साथ-साथ विभिन्न राज्यों के आदिवासी इलाकों में सामान्य जनजीवन प्रभावित रहा। पुलिस ने रेल और सड़क बाधित कर रहे प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए पटना, दरभंगा और बेगूसराय सहित बिहार के कई जिलों में लाठीचार्ज किया और पानी की बौछारें छोड़ी, जबकि झारखंड और ओडिशा में सार्वजनिक परिवहन सेवाएं आंशिक रूप से प्रभावित हुईं।
आरक्षण को कमजोर करना चाहती है भाजपा: पप्पू यादव
हालांकि, भाजपा के प्रमुख आदिवासी नेता फग्गन सिंह कुलस्ते ने विपक्ष पर इस मुद्दे पर उच्चतम न्यायालय के फैसले का राजनीतिकरण करने का आरोप लगाया। देश भर में 21 संगठनों ने शीर्ष अदालत के आदेश के खिलाफ ‘भारत बंद' का आह्वान किया था। उनका कहना है कि इससे आरक्षण के मूल सिद्धांतों को नुकसान पहुंचेगा। निर्दलीय सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने पटना और अन्य इलाकों में प्रदर्शनों का नेतृत्व किया और एससी/एसटी कोटे पर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार के रुख की आलोचना की और आरोप लगाया कि वह आरक्षण को कमजोर करना चाहती है।
कांग्रेस ने बंद को दिया था अपना ‘नैतिक' समर्थन
आदिवासी संगठनों के एक छत्र संगठन एसएएस की आदिवासी इलाकों में अच्छी उपस्थिति है। विपक्षी कांग्रेस ने बंद को अपना ‘नैतिक' समर्थन दिया तथा एसटी एवं एससी समुदायों के सदस्यों की चिंताओं को दूर करने का आह्वान किया। प्रदेश कांग्रेस के संचार प्रकोष्ठ के प्रमुख सुशील आनंद शुक्ला ने कहा, ‘‘अनुसूचित जनजाति और अनुसूचित जाति समुदाय के लोगों और उनके संगठनों ने अपनी जायज मांगों को लेकर ‘भारत बंद' का आह्वान किया है, जिस पर सहानुभूतिपूर्वक विचार किया जाना चाहिए, क्योंकि यह उनका संवैधानिक अधिकार है। मध्य प्रदेश की मंडला (एसटी सुरक्षित) लोकसभा सीट से भाजपा सदस्य कुलस्ते ने कहा, ‘‘न्यायाधीशों ने अपनी राय दे दी है।
SC/ST के बीच क्रीमी लेयर का प्रावधान नहीं होगा लागू: भाजपा
मैं व्यक्तिगत रूप से 60-70 सांसदों के साथ इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मिला था। प्रधानमंत्री ने हमें बताया कि एससी और एसटी के बीच क्रीमी लेयर प्रावधान लागू नहीं किया जाएगा।'' कुलस्ते ने कहा,‘‘सरकार की इतनी स्पष्टता और निर्णय के बावजूद लोगों ने ‘भारत बंद' का आह्वान किया है... वे राजनीति कर रहे हैं। कांग्रेस ने एससी और एसटी के नाम पर राजनीति की और (बहुजन समाज पार्टी प्रमुख)मायावती भी वही कर रही हैं।'' राष्ट्रव्यापी हड़ताल का गुजरात के आदिवासी क्षेत्रों में भी कुछ असर रहा, जिसमें छोटा उदयपुर, नर्मदा, सुरेन्द्रनगर, साबरकांठा और अरावली जिले शामिल हैं।