दीपावली पर्व पर उल्लू व कछुओं के तश्करों की चांदी

Edited By ,Updated: 29 Oct, 2016 05:54 PM

silver owl and turtle smugglers on deepawali

भारत परम्पराओं व रीति रिवाजों का देश है। इस में लोग तंत्र मंत्र विद्या पर भी विश्वास रखते है। इस लिए दीपावली पर उल्लू की विशेष पूजा आदि पर बहुत से लोग विश्वास रख कर इस दिन उल्लू व कछुए की पूजा कर लक्ष्मी को प्रसन्न करने का प्रयास करते है।

मुजफ्फरनगर: भारत परम्पराओं व रीति रिवाजों का देश है। इस में लोग तंत्र मंत्र विद्या पर भी विश्वास रखते है। इस लिए दीपावली पर उल्लू की विशेष पूजा आदि पर बहुत से लोग विश्वास रख कर इस दिन उल्लू व कछुए की पूजा कर लक्ष्मी को प्रसन्न करने का प्रयास करते है। इसलिए दीपावली पर उल्लू व कछुए की तश्करी बढ जाती है।

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दीपावली के त्यौहार पर मां लक्ष्मी के वाहन का रूप माने जाने वाले उल्लू पक्षी की तस्करी रोकने के लिए वन विभाग ने अलर्ट घोषित किया है। वन्य जीव जन्तुओं के बड़े तस्करों ने उत्तर प्रदेश और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुछ जिलों के तस्करों से हाथ मिला लिये है ओर ये तस्कर बड़े पैमाने पर उल्लूओं की तस्करी कर उनके नाखून, चोंच, पंख और पंजे को अपने ग्राहकों तक मोटी रकम लेकर पहुंचा रहे है। गाजियाबाद में कछुवा तस्करों की गिरफ्तारी करते हुए सैकड़ों कछुए बरामद किये गये।

 



दीपावली पर अनेक तांत्रिक लोग ज्योतिषों के साथ कई तरह की क्रियाएं करते है इनकी आड लेकर कुछ जनजातियां और वन्य जीव जन्तुओं का शिकार करने वाले लोग और बडे तस्कर इस समय का फायदा उठाकर मुंह मांगी रकम पर उल्लू को उपलब्ध कराने की बुकिगं करते है। पिछले एक सप्ताह से उत्तराखंड के वन्य जीव तस्करों ने उल्लू की तस्करी के लिए पश्चिमी उत्तर प्रदेश के तस्करों के साथ गठबंधन कर उल्लू की तस्करी को बडे पैमाने पर शुरू कर दिया है। हस्तिनापुर वन्य अभियारण्य क्षेत्र के शुक्रताल के वन क्षेत्र व हिंडन, कृष्णा नदी, काली नदी के आसपास और गंगनहर के पास जंगलों में उल्लू की अनेक प्रजातियां पाई जाती है इस समय उल्लू की 14 प्रजातियां अस्तित्व में है। पुरकाजी क्षेत्र के कस्बे के जंगल में भी तस्कर उल्लू का शिकार करने में लगे है। 

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मुजफ्फरनगर में उल्लू की दो प्रजातियां बड़ा उल्लू व छोटा उल्लू मिलते हैं लेकिन तांत्रिकों और तस्करों ने बड़े उल्लूओं को यहां से तस्करी कर लगभग लुप्त सा कर दिया है और यहां बहुत ही कम संख्या में उल्लू रह गये है। काला जादू और तंत्रा क्रिया करने वालो की पहली पसंद इस समय दीपावली के दिन उल्लू ही है क्योंकि इसको धन लक्ष्मी और शक्ति का प्रतीक माना जाता है और इसकी बलि देना कुछ अंध्विश्वासी लोग अपने कारोबार के लिए अच्छा मानते है। उल्लू एक शांत जीव है जो चूहे के साथ-साथ कीड़े मकोड़े खाकर परिस्थिति की संतुलन करता है और इसको छोटा टाइगर के नाम से भी जाना जाता है। लेकिन दीपावली आते ही इन उल्लूओं पर शामत आ जाती है और तस्कर मौके का फायदा उठाकर लाखों रूपये से लेकर उल्लू के बच्चे तक को भी बेच रहे हैं। तस्करों की गिरफ्तारी के लिए वन विभाग ने एक विशेष टीम भी गठित की है।

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