पद्म श्री बसंती देवी ने कहा- कौसानी आश्रम ने समाज सेवा के लिए किया मुझे प्रेरित

Edited By Nitika,Updated: 30 Jan, 2022 02:14 PM

statement of padma shri basanti devi

पर्यावरण संरक्षण की ‘धर्मयोद्धा'' कही जाने वाली 64 वर्षीय बसंती देवी ने 14 वर्ष की आयु में अपने पति को खोने के बाद कभी सोचा तक नहीं था कि कौसानी आश्रम की यात्रा उन्हें सामाजिक कार्य के लिए प्रेरित करेगी और आगे चलकर उन्हें प्रतिष्ठित पद्म पुरस्कार...

 

पिथौरागढ़ः पर्यावरण संरक्षण की ‘धर्मयोद्धा' कही जाने वाली 64 वर्षीय बसंती देवी ने 14 वर्ष की आयु में अपने पति को खोने के बाद कभी सोचा तक नहीं था कि कौसानी आश्रम की यात्रा उन्हें सामाजिक कार्य के लिए प्रेरित करेगी और आगे चलकर उन्हें प्रतिष्ठित पद्म पुरस्कार मिलेगा।

‘सेव कोसी मूवमेंट' और पर्यावरण संरक्षण के लिए 2022 में पद्म सम्मान पाने वाली बसंती देवी को महिला सशक्तीकरण की पैरोकार भी माना जाता है। उन्होंने अपने 40 साल के कार्यों को याद करते हुए कहा कि वह एक रिश्तेदार से मिलने के लिए अल्मोड़ा में महिला कौसानी आश्रम गई थीं और वहां के माहौल से प्रेरित एवं प्रभावित हुईं, जो छूआछूत तथा सामाजिक भेदभाव की बुराई से मुक्त था।

देवी ने कहा, ‘‘मेरा जन्म 1958 में पिथौरागढ़ जिले के कनालीछीना ब्लॉक के दीगरा गांव में हुआ था। जब मैं पांचवीं कक्षा में थी, मेरी शादी 11वीं कक्षा के एक छात्र से हो गई। लेकिन शादी के शीघ्र बाद मेरे पति की मृत्यु हो गई और मैं विधवा हो गई।'' उनके रिश्तेदारों ने जब उन्हें फिर से शादी करने के लिए मनाने की कोशिश की थी, तब देवी ने अपने पिता से आग्रह किया कि वह इसके बजाय पढ़ाई जारी रखना चाहती हैं। देवी ने कहा, ‘‘उन दिनों मेरे रिश्तेदार का एक अशक्त लड़का सरला बहन द्वारा स्थापित महिला आश्रम कौसानी में अध्ययन कर रहा था। जब मैं वहां उससे मिलने गई तब मैं वहां के माहौल से, जो छुआछूत और भेदभाव की बुराई से मुक्त था और महिलाओं की गरिमा से पूर्ण था, इतनी प्रभावित हुई कि मैंने अपने पिता की सहमति से वहीं रहने का फैसला कर लिया।'' उन्होंने कहा कि आश्रम में आने के बाद उन्हें कोसी नदी बेसिन के गांवों में जल और पर्यावरण संरक्षण का कार्य सौंपा गया क्योंकि वहां जलस्रोतों का जलस्तर तेजी से गिर रहा था।

देवी ने कहा, ‘‘जब हमने कोसी इलाके में काम शुरू किया तो महिलाओं की स्थिति दयनीय थी। वे जंगल में ईंधन की लकड़ी एकत्र करने जाती थीं और खेतों में काम करती थीं। मैंने उनसे पेड़ नहीं काटने का अनुरोध किया क्योंकि पेड़ों की कटाई के चलते इलाके का जल स्तर घट रहा था।'' देवी और उनकी टीम ने बड़े पेड़ों की कटाई रोकने के लिए वन विभाग से भी लड़ाई लड़ी। उन्होंने कहा, ‘‘जब गांव की महिलाएं मेरी सलाह मानने के लिए राजी हो गईं तब हमने उन्हें कौसानी से सोमेश्वर में कतली गांव तक करीब 50 गांवों में महिला संगठनों में शामिल किया।''

देवी ने कहा, ‘‘महिलाओं ने अब समाज कार्य में भाग लेना शुरू कर दिया है।'' वह पेड़, पर्यावरण संरक्षण, महिला सशक्तीकरण करने और ग्रामीणों के बीच शराब का सेवन खत्म करने के लिए 20 वर्षों तक कोसी क्षेत्र में 50 गांवों का दौरा करती रहीं। उन्होंने कहा कि उनकी मेहनत रंग लाई और कोसी क्षेत्र के कभी शुष्क हो चुके इलाके में अतिरिक्त जल संचित हो गया। उन्होंने कहा कि सोमेश्वर के ग्रामीणों ने धान की रोपाई शुरू कर दी। देवी को 2016 में नारी शक्ति पुरस्कार भी प्रदान किया गया था।
 

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