जोशीमठ पहुंची भगवान बद्रीनाथ की उत्सव डोली, रिकॉर्ड तोड़ तीर्थयात्रियों ने किए दर्शन

Edited By Nitika,Updated: 19 Nov, 2019 04:32 PM

doli of lord badrinath reached joshimath

उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित भगवान बद्रीनाथ धाम के कपाट बंद हो गए हैं। इसके साथ ही उनके खजांची कुबेर और सखा पांडुकेश्वर के मंदिरों में विराजमान हो चुके हैं।

चमोलीः उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित भगवान बद्रीनाथ धाम के कपाट बंद हो गए हैं। इसके साथ ही उनके खजांची कुबेर और सखा पांडुकेश्वर के मंदिरों में विराजमान हो चुके हैं। वहीं रावल की अगुवाई में अराध्य गद्दी जोशीमठ नृसिंह मदिर पहुंच गई है। सैकड़ों की तादात में भक्तों ने आराध्य गद्दी का पुष्प वर्षा और मंगल गीत गाकर स्वागत किया। आराध्य गद्दी के जोशीमठ पहुंचते ही ग्रीष्मकालीन चारधाम यात्रा का समापन हो गया है।

ग्रीष्मकाल में भगवान बद्रीनाथ के कपाट खुलने के बाद श्री हरि की पूजा मानवों द्वारा की जाती है और कपाट बंद होने के बाद भगवान की पूजा देवताओं एवं गंधर्वों द्वारा की जाती है। कपाट बंद होने के बाद भगवान बद्रीविशाल का विग्रह घृत कंबल में एवं साधू वेश में बद्रीनाथ के ही गर्भ गृह में विराजमान रहता है लेकिन भगवान के सभी आभूषण ,वाहन गरुड़ एवं अराध्य गद्दी जोशीमठ के नृसिंह मंदिर में विराजमान रहती है, जिसका लोग कपाट बंद होने के बाद दर्शन एवं पूजा अर्चना करते हैं। सोमवार को रात्री पांडुकेश्वर में प्रवास करने के बाद सुबह रावल की अगुवाई में गद्दी जोशीमठ के लिए रवाना हुई।

रावल ने प्रथम प्रयाग विष्णुप्रयाग में भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना कर इस साल सफल बद्रीनाथ यात्रा के लिए उनका आभार जताया। लोगों ने मारवाडी, कमद, लोहर बाजार आदि क्षेत्रों में डोली का पुष्पवर्षा कर स्वागत किया। जोशीमठ पहुंचने पर डोली को लोगों के दर्शन के लिए नृसिंह प्रांगण में रखा गया, जिसके बाद रावल ,धर्माधिकारी एवं वेदपाठियों ने अराध्य गरूड़, वासुदेव मंदिर, नवदुर्गा मंदिर, नृसिंह मंदिर, लक्ष्मी मंदिर में पूजा-अर्चना की। लक्ष्मी मंदिर के प्रांगण में यात्रा के समापन पर विशेष पूजा अनुष्ठान किया गया और अंत में रावल ने धर्माधिकारी के सानिध्य में अराध्य शंकराचार्य कोठ में दर्शन कर चारधाम यात्रा के समापन की घोषणा की।

वहीं बीकेटीसी के अध्यक्ष मोहन थपलियाल ने बताया कि इस साल 12 लाख 51 हजार तीर्थयात्री बद्रीनाथ पहुंचे हैं। इसके साथ ही शीतकालीन दर्शन के लिए भी बीकेटीसी विशेष व्यवस्थाएं कर रही है।

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