हरिद्वारः मकर संक्रांति पर 10 लाख श्रद्धालुओं ने किया गंगा घाटों पर स्नान

Edited By Nitika,Updated: 15 Jan, 2020 11:29 AM

10 lakh devotees bathed in the ganges ghats

मकर संक्रांति के पावन पर्व पर 10 लाख श्रद्धालुओं ने मंगलवार को उत्तराखंड के हरिद्वार स्थित हरकी पौड़ी सहित अन्य गंगा घाटों पर स्नान किया।

हरिद्वारः मकर संक्रांति के पावन पर्व पर 10 लाख श्रद्धालुओं ने मंगलवार को उत्तराखंड के हरिद्वार स्थित हरकी पौड़ी सहित अन्य गंगा घाटों पर स्नान किया।

मकर संक्रांति के स्नान के मौके पर हरिद्वार में गंगा स्नान के लिए श्रद्धालुओं की मंगलवार भीड़ सुबह से ही उमड़ पड़ी थी। हरिद्वार में कड़ाके की ठंड एवं शीतलहर चल रही है, बावजूद इसके श्रद्धालुओं के उत्साह में कोई कमी नहीं देखी गई। कड़ाके की ठंड में भी यहां विभिन्न प्रांतों से आए श्रद्धालु गंगा में स्नान कर पुण्य अर्जित कर रहे हैं। बताया जाता है कि 10 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने गंगा में डुबकी लगाई। इस दिन से सूर्य देवता उत्तरायण हो जाते हैं। इस दिन से ऋतु परिवर्तन भी माना जाता है। इस दिन से सूर्य का ताप तिल-तिल बढ़ने लगता है।

मान्यताओं के अनुसार, मकर संक्रांति के दिन गंगा स्नान कर तिल और खिचड़ी के दान का बहुत महत्व है। माना जाता है कि जो लोग मकर संक्रांति के दिन गंगा स्नान करते हैं गंगा मैया उनकी सभी मनोकामना पूरी करती है। मकर संक्रांति का पर्व हिन्दुओं के लिए बहुत खास पर्व है क्योकि इस दिन से ही सभी शुभ कार्यों की शुरुआत हो जाती है। मकर संक्रान्ति पर स्नान दान का विशेष फल भी मिलता है। मकर संक्रान्ति के अवसर पर हवन पूजन के साथ खाद्य वस्तुओं में तिल एवं तिल से बनी वस्तुओं के दान का विशेष महत्व बताया गया है। पुराणों के अनुसार, मकर संक्रान्ति सुख शान्ति, वैभव, प्रगति सूचक, जीवों में प्राण दाता, स्वास्थ्य वर्धक, औषधियों के लिए वर्णकारी एवं आयुर्वेद के लिए विशेष है। जिला प्रशासन ने भी मकर संक्रांति को लेकर काफी तैयारियां कीं थी।

वहीं पुलिस अधीक्षक कमलेश ने बताया कि सुरक्षा के चाक-चौबंद इंतजाम किए गए है। पूरे मेला क्षेत्र को सात जोन व 15 सेक्टर में बांट कर विशेष यातायात प्लान लागू किया गया। हालांकि मंगलवार को अपेक्षाकृत भीड़ कम रही, जिससे पुलिस को भीड़ और यातायात प्रबंधन में कोई खास मशक्कत नहीं करनी पड़ी। बावजूद इसके हाईवे पर हमेशा की तरह जाम की स्थिति बनी रही। हरिद्वार में हरकी पौड़ी सहित अन्य प्रमुख घाटों पर सुबह होते ही स्नान का क्रम शुरू हो गया था।

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