Edited By Ajay kumar,Updated: 03 Jul, 2019 12:27 PM
योगी सरकार द्वारा प्रदेश के 17 ओबीसी जातियों को अनुसूचित जाति की श्रेणी में शामिल किए जाने के फैसले को केंद्र सरकार ने असंवैधानिक करार दिया है।
लखनऊ: योगी सरकार द्वारा प्रदेश के 17 ओबीसी जातियों को अनुसूचित जाति की श्रेणी में शामिल किए जाने के फैसले को केंद्र सरकार ने असंवैधानिक करार दिया है। केंद्र सरकार से मिले झटके के बाद सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) ने भी सरकार पर हमला बोला है। सुभासपा के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर ने कहा है कि सरकार की मंशा सिर्फ विधानसभा उपचुनावों में वोट लेने की है।
उन्होंने ट्वीट कर कहा कि अगर सरकार वास्तव में इन 17 जातियों की हमदर्द है तो सामाजिक न्याय समिति की रिपोर्ट तत्काल लागू करे। भर्तियों में ये अभ्यर्थी किस कोटे से आवेदन करेंगे? राजभर ने लिखा है उत्तर प्रदेश सरकार 17 अति पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति का जाति प्रमाण बनाने का जो निर्देश दी है, क्या सरकार यह बताएगी इस जाति प्रमाण पत्र से किन-किन क्षेत्रों में इन 17 जातियों को लाभ मिलेगा? जब मामला उच्च न्यायालय में विचाराधीन है, फिर असंवैधानिक तरीके से इन 17 जातियों को जातिप्रमाण पत्र देकर सरकार इन जातियों को मूर्ख क्यों बना रही है। सरकार जो विभिन्न विभागों में भर्ती करने जा रही है, उसमे इन जातियों को एससी के कोटे में या पिछड़ी जाति में नौकरी मिलेगी? सरकार स्पष्ट करे ताकि जो भर्ती होने जा रही है उसमें भ्रम की स्थिति न बनी रहे।
यूपी सरकार का फैसला असंवैधानिक: गहलोत
दरअसल, केंद्र सरकार ने 17 ओबीसी जातियों को एससी कैटिगरी में शामिल करने के उत्तर प्रदेश सरकार के फैसले को सरासर गलत करार दिया है। केंद्रीय सामाजिक न्याय व अधिकारिता मंत्री थावर चंद गहलौत ने कहा कि यूपी सरकार का फैसला संविधान के अनुरूप नहीं है क्योंकि एससी, एसटी और ओबीसी की लिस्ट में बदलाव का अधिकार सिर्फ संसद को है।
गौरतलब है कि योगी आदित्यनाथ सरकार ने 24 जून को डीएम और कमिश्नरों को आदेश दिया था कि वे ओबीसी में शामिल 17 अति पिछड़ी जातियों- कश्यप, राजभर, धीवर, बिंद, कुम्हार, कहार, केवट, निषाद, भार, मल्लाह, प्रजापति, धीमर, बठाम, तुरहा, गोडिय़ा, मांझी और मचुआ को अनुसूचित जाति का प्रमाणपत्र जारी करें। जिसपर बसपा समेत कई पार्टियों ने आपत्ति जताई थी।