क्या रामपुर में आजम परिवार के बिन जीत पाएगी?  जानिए वोटरों की राय

Edited By Ramkesh,Updated: 15 Apr, 2024 06:36 PM

will azam be able to win in rampur without the family know

उत्तर प्रदेश के रामपुर लोकसभा सीट पर करीब पांच दशक तक अपना दबदबा कायम रखने वाले समाजवादी पार्टी (सपा) के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री आजम खां इस बार रामपुर लोकसभा चुनाव मैदान में नहीं हैं। उनकी गैर मौजूदगी से उनके वफादार पार्टी कार्यकर्ता पसोपेश में...

रामपुर: उत्तर प्रदेश के रामपुर लोकसभा सीट पर करीब पांच दशक तक अपना दबदबा कायम रखने वाले समाजवादी पार्टी (सपा) के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री आजम खां इस बार रामपुर लोकसभा चुनाव मैदान में नहीं हैं। उनकी गैर मौजूदगी से उनके वफादार पार्टी कार्यकर्ता पसोपेश में हैं। सपा की रामपुर जिला इकाई तय नहीं कर पा रही है कि आजम खां के प्रभुत्व को बरकरार रखने के लिए उनसे वफादारी निभाये या फिर अप्रत्यक्ष रूप से खां के राजनीतिक विकल्प के तौर पर पार्टी द्वारा उम्मीदवार बना कर भेजे गए मोहिबुल्लाह नदवी को जिताने के लिए जोर लगाए।

मोहिबुल्लाह नदवी को सपा ने बनाया है उम्मीदवार 
सपा ने इस समय सीतापुर जेल में बंद आजम खां के गढ़ में उनके किसी नुमाइंदे के बजाय दिल्ली में संसद मार्ग पर स्थित एक मस्जिद के इमाम मोहिबुल्लाह नदवी को उम्मीदवार बनाया है। किसी अन्य लोकसभा क्षेत्र के लिए प्रत्याशी में बदलाव करना एक सामान्य बात हो सकती है लेकिन रामपुर के मामले में यह बात कतई मामूली नहीं है। भड़काऊ भाषण देने के मामले में अदालत से सजा मिलने पर नवंबर 2022 में अपनी विधानसभा सदस्यता गंवाने वाले आजम खां के करीबी आसिम राजा ने पार्टी द्वारा मोहिबुल्लाह नदवी को टिकट दिए जाने के बावजूद खुद को सपा उम्मीदवार बताते हुए नामांकन दाखिल किया था लेकिन पर्चों की जांच में उनका नामांकन खारिज हो गया।

रामपुर में सपा के  सबसे प्रभावशाली नेता आजम खां
आजम खां निर्विवाद रूप से रामपुर के सबसे प्रभावशाली नेता माने जाते रहे हैं। जिले में सपा से जुड़ी तमाम गतिविधियों में खां का सीधा प्रभाव रहा है लेकिन इस बार सपा ने एक तरह से उन्हें झटका देते हुए उनके किसी प्रतिनिधि तक को टिकट नहीं दिया। इसके चलते बनी असमंजस की स्थिति पर पार्टी जिला अध्यक्ष अजय सागर का कहना है कि पार्टी ने जो उम्मीदवार भेजा है उसे जिताने की पूरी कोशिश की जाएगी। सागर ने बातचीत में इस सवाल पर कि इस बार रामपुर के चुनावी मैदान में आजम खां या उनका कोई प्रतिनिधि नहीं है, बेहद उदास लहजे में कहा, "हमें गहरा दुख है कि इस बार मंत्री जी (आजम खां) या उनके परिवार का कोई भी सदस्य चुनाव मैदान में नहीं है। हमें उनकी बहुत याद आ रही है। उनकी कमी बहुत खल रही है।"

नदवी को लेरक असमंजस में मुस्लिम मतदाता
सागर ने रामपुर से सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के चुनाव लड़ने की मांग करते हुए बाकायदा प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा था कि अगर अखिलेश चुनाव नहीं लड़ते हैं तो वह चुनाव का बहिष्कार करेंगे। उनका कहना था कि पिछले कई चुनाव से जिला प्रशासन मुस्लिम मतदाताओं को धमका कर वोट नहीं डालने दे रहा है और अन्य कई तरह की मनमानी की जा रही है ऐसे में अखिलेश जैसा बड़े कद का नेता ही चुनाव लड़कर यहां मनमानी को रुकवा सकता है। जानकारों के मुताबिक नदवी की उम्मीदवारी ने सपा की स्थानीय इकाई के सामने अजीबोगरीब स्थिति खड़ी कर दी है कि अगर वह सपा के अधिकृत प्रत्याशी नदवी का साथ देती है तो आजम खां के दबदबे को चुनौती मिलेगी और अगर साथ नहीं देती है तो उस पर भीतरघात का आरोप लग सकता है। 

फर्जी आयु प्रमाण पत्र के मामले में अब्दुल्लाह आजम में हैं
फर्जी आयु प्रमाण पत्र के मामले में सात साल की सजा मिलने के बाद सीतापुर जेल में बंद आजम खां से पिछली 22 मार्च को सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने मुलाकात की थी। उस वक्त ऐसी अटकलें लगाई जा रही थीं कि खां ने अखिलेश से रामपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने का आग्रह किया था। हालांकि पार्टी में बाद में मोहिबुल्लाह नदवी को प्रत्याशी बना दिया। आजम खां के परिवार का कोई सदस्य फिलहाल उनकी विरासत को आगे बढ़ाने वाला नहीं है। उनकी पत्नी पूर्व विधायक तजीन फातिमा और पूर्व में विधायक रह चुके उनके छोटे बेटे अब्दुल्लाह आजम भी फर्जी जन्म प्रमाण पत्र के मामले में सात-सात साल की कैद की सजा काट रहे हैं। उनके बड़े बेटे अदीब आजम ने हमेशा से खुद को राजनीति से दूर रखा है और मौजूदा हालात में भी वह सियासत से फासला बनाए हुए हैं। सपा प्रत्याशी नदवी की क्षेत्र में गतिविधियां तोपखाना इलाके में स्थित उनके दफ्तर से संचालित की जा रही हैं।

10 बार विधायक एक बार सांसद सदस्य रहे आजम खां 
आजम खां रामपुर सदर सीट से 10 बार विधायक और रामपुर लोकसभा सीट से एक बार सांसद रहे हैं। वह जून 1980 में पहली बार रामपुर से जनता पार्टी (सेक्युलर) के टिकट पर विधानसभा पहुंचे थे। उसके बाद से रामपुर की सियासत पर उन्होंने ऐसी पकड़ बनाई कि पांच दशकों तक उन्हें कोई चुनौती नहीं दे सका। वह वर्ष 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में रामपुर सीट से सांसद भी चुने गए।

उपचुनाव में भाजपा उम्मीदवार घनश्याम लोधी ने आजम को हराया
हालांकि वर्ष 2022 में खां का किला दरकने की शुरुआत हो गयी थी। उस साल हुए उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में रामपुर सदर सीट से 10वीं बार चुने जाने के चलते लोकसभा से उनके इस्तीफा देने के बाद खाली हुई रामपुर संसदीय सीट के उपचुनाव में उनके मनपसंद प्रत्याशी सपा के आसिम राजा को भाजपा उम्मीदवार घनश्याम लोधी के हाथों पराजय का सामना करना पड़ा। भड़काऊ भाषण के मामले में अपनी विधानसभा सदस्यता गंवाने के बाद हुए उपचुनाव में उनके प्रभुत्व को एक और जोरदार झटका उस वक्त लगा जब भाजपा के आकाश सक्सेना ने खां के पसंदीदा उम्मीदवार सपा प्रत्याशी आसिम राजा को शिकस्त देकर पहली बार रामपुर सदर सीट पर भाजपा का परचम लहराया। अदालत द्वारा सजा सुनाए जाने के बाद आजम खां का वोट डालने का अधिकार भी छीन लिया गया है। रामपुर लोकसभा क्षेत्र में तकरीबन 17 लाख मतदाता है जिनमें से करीब 43% मुस्लिम हैं। रामपुर सीट पर लोकसभा चुनाव के पहले चरण में आगामी 19 अप्रैल को मतदान होगा। 

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