Edited By Mamta Yadav,Updated: 21 Jun, 2025 10:46 PM

हर बच्चा पढ़े, हर बच्चा बढ़े’ यह नारा आज भी हर सरकारी विद्यालय की दीवारों पर साफ नजर आता है। मगर, जमीनी सच्चाई इससे उलट है। यूपी के गाजियाबाद में 12 प्राथमिक विद्यालय ऐसे हैं जिनमें 20 से भी कम बच्चे हैं या फिर यूं कहें कि बच्चे न के बराबर हैं। इसके...
Ghaziabad News, (आकाश गर्ग): हर बच्चा पढ़े, हर बच्चा बढ़े’ यह नारा आज भी हर सरकारी विद्यालय की दीवारों पर साफ नजर आता है। मगर, जमीनी सच्चाई इससे उलट है। यूपी के गाजियाबाद में 12 प्राथमिक विद्यालय ऐसे हैं जिनमें 20 से भी कम बच्चे हैं या फिर यूं कहें कि बच्चे न के बराबर हैं। इसके बावजूद, इन विद्यालयों पर सरकार करोड़ों रुपये खर्च कर रही है। न सिर्फ अध्यापकों के वेतन पर, बल्कि ‘कायाकल्प योजना’, फर्नीचर, रंगाई-पुताई, स्मार्ट क्लास, शौचालय, पीने का पानी, पुस्तकालय और अन्य मूलभूत सुविधाओं पर भी बच्चों की कमी के कारण जिले के लगभग 12 स्कूलों के बच्चों को नजदीक के प्राथमिक विद्यालयों में शिफ्ट किए जाने का फैसला लिया गया है।

एक समय था जब सरकारी स्कूल गांव की शान हुआ करते थे। सुबह की प्रार्थना से लेकर दोपहर के मिड-डे मील तक स्कूलों में बच्चों की चहल-पहल होती थी। लेकिन अब वही स्कूल वीरान हो रहे हैं। शासन से मिले आंकड़ों के अनुसार, जिले में ऐसे 12 प्राथमिक विद्यालय हैं जहां छात्र संख्या 20 से भी कम है। कुछ स्कूल तो ऐसे हैं जहां कुल मिलाकर 10 या 12 बच्चे ही दर्ज हैं। नामांकन में गिरावट के पीछे कई कारण हैं। एक ओर गांवों से हो रहा तेजी से शहरी पलायन, या फिर अभिभावक अपने बच्चे को निजी स्कूल में भेजना ज्यादा पसंद करने लगे हैं जिसके कारण गांव में प्राथमिक स्कूल खाली पड़े हैं।

चितौड़ा गांव के प्रधान अरविंद कुमार बताते हैं कि गांव के लोग सक्षम हैं इसलिए प्राइमरी स्कूल में बच्चों को पढ़ाना ज्यादा सही समझते हैं। पिछले 7 साल से गांव में प्राथमिक विद्यालय में एक भी बच्चा नहीं है। पहले शिक्षा मित्र और एक अध्यापिका आती थी लेकिन बच्चे न होने की वजह से उन्हें भी कहीं और भेज दिया गया है। इस पूरे मामले को गंभीरता से लेते हुए शिक्षा विभाग ने उन स्कूलों की सूची तैयार कर ली है जहां नामांकन बेहद कम है।

बेसिक शिक्षा अधिकारी ओपी यादव के अनुसार, "हम ऐसे स्कूलों की पेयरिंग पास के बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर वाले स्कूलों से करेंगे। बच्चों को अभिभावकों की सहमति से शिफ्ट किया जाएगा।" मर्ज किए जा रहे स्कूलों की इमारतों को पूरी तरह बंद नहीं किया जाएगा। उनका उपयोग बालवाटिका, पुस्तकालय या अन्य शैक्षिक कार्यों के लिए किया जाएगा।