Edited By Ramkesh,Updated: 27 Jun, 2025 07:49 PM

कानपुर कलेक्ट्रेट में शुक्रवार को ऐसा दृश्य देखने को मिला जो सरकारी तंत्र की कार्यशैली पर एक बड़ा सवाल खड़ा कर रहा है। एक फरियादी जनता दर्शन में न तो न्याय की गुहार लगाने पहुंचा, और न ही आंसू बहाने... बल्कि वह तो रिश्वत की ₹30,000 की चेक लेकर खुद...
कानपुर [प्रांजुल मिश्रा] : कानपुर कलेक्ट्रेट में शुक्रवार को ऐसा दृश्य देखने को मिला जो सरकारी तंत्र की कार्यशैली पर एक बड़ा सवाल खड़ा कर रहा है। एक फरियादी जनता दर्शन में न तो न्याय की गुहार लगाने पहुंचा, और न ही आंसू बहाने... बल्कि वह तो रिश्वत की ₹30,000 की चेक लेकर खुद डीएम साहब के सामने हाजिर हो गया। और कहने लगे—"लीजिए हुजूर, OSD साहब को दे दीजिए ये घूस... अब तो हमारी रजिस्ट्री करवा दीजिए!" मतलब अब रिश्वत भी डिजिटल इंडिया की राह पर है!

दरअसल, मामला है केडीए (KDA) का है, जहां एकल विंडो सिस्टम के नाम पर जिम्मेदारों द्वारा "लूट की ओपन विंडो" चलाई जा रही है। पीड़ित नीरज गुप्ता ने 7 जून को एक कालोनी की रजिस्ट्री के लिए आवेदन किया था। कहते हैं, उनका संपर्क विशेष कार्याधिकारी यानी OSD जोन-3 अजय कुमार से हुआ... और वहीं से सिस्टम का गियर लॉक हो गया OSD साहब ने फरमान जारी कर दिया—"हम पावर ऑफ एटॉर्नी नहीं मानते!" अब कानूनी राय कुछ भी कहे... OSD साहब की मर्जी सर्वोपरि है! जबकि KDA के अपने ही विधि विभाग ने साफ कहा पावर ऑफ एटॉर्नी में कोई रुकावट नहीं है लेकिन साहब जी सीधी बात, "30 हज़ार दो, नहीं तो फिर दौड़ते रहो!"
नीरज गुप्ता पिछले एक साल से दौड़ रहे हैं थक-हारकर उन्होंने अब रिश्वत की रकम को ही चेक से बांध दिया और कलेक्ट्रेट पहुंचकर डीएम से फरियाद की, "सर, OSD साहब की मेहनताना राशि मंजूर कीजिए और बदले में मेरी रजिस्ट्री करवा दीजिए!"
अब OSD अजय कुमार साहब का जवाब और भी लाजवाब है OSD अजय कुमार ने कहा कि मेरे पास नीरज गुप्ता के नाम से अभी तक कोई भी फाइल नहीं है, जो भी आरोप लगाए है वो निराधार हैं। मेरे संज्ञान में अभी तक ये मामला भी नहीं आया है। नीरज गुप्ता आया तो करते थे लेकिन मेरी कोई मुलाकात नहीं हुई है। डीएम जितेंद्र प्रताप सिंह ने मामले को KDA के वीसी को भेज दिया है।