प्रयागराज में गंगा का रौद्र रूप! सड़कों से लेकर मंदिर तक सब डूबे, नवजात को हाथों में उठाकर निकले माता-पिता; 17 जिलों में गंगा-यमुना उफान पर

Edited By Anil Kapoor,Updated: 04 Aug, 2025 11:26 AM

water everywhere in prayagraj from roads to temples everything is submerged

Prayagraj News: देश भर में मॉनसून की बारिश ने मौसम का मिजाज पूरी तरह बदल दिया है। उत्तर भारत में लगातार हो रही भारी बारिश ने नदियों का जलस्तर बढ़ा दिया है। खासतौर पर उत्तर प्रदेश में गंगा और यमुना नदियों के किनारे बसे कई इलाके बाढ़ की चपेट में आ गए...

Prayagraj News: देश भर में मॉनसून की बारिश ने मौसम का मिजाज पूरी तरह बदल दिया है। उत्तर भारत में लगातार हो रही भारी बारिश ने नदियों का जलस्तर बढ़ा दिया है। खासतौर पर उत्तर प्रदेश में गंगा और यमुना नदियों के किनारे बसे कई इलाके बाढ़ की चपेट में आ गए हैं। संगम नगरी प्रयागराज के कई हिस्से पानी में डूब चुके हैं, जबकि वाराणसी, मिर्जापुर और बलिया जैसे जिले भी इस बाढ़ से प्रभावित हैं।

यूपी के 17 जिले बाढ़ की चपेट में
उत्तर प्रदेश के कुल 17 जिले बाढ़ की वजह से प्रभावित हैं। इनमें से 16 जिले गंगा-यमुना के किनारे हैं, जहां जलस्तर खतरनाक स्तर तक पहुंच गया है। प्रयागराज से लेकर बलिया तक गंगा नदी के किनारे बसे इलाकों में बाढ़ फैल गई है। प्रयागराज के सलोरी, राजापुर, दारागंज, बघाड़ा जैसे इलाके पूरी तरह पानी में डूब चुके हैं। मिर्जापुर, वाराणसी और चंदौली में भी हालात गंभीर हैं, लेकिन सबसे ज्यादा नुकसान प्रयागराज में हुआ है। संगम क्षेत्र में 7 महीने पहले जो जगह पैरों के निशान से भरी थी, अब वहां केवल पानी ही पानी नजर आता है।

प्रयागराज में स्थिति बेहद गंभीर
प्रयागराज में गंगा और यमुना के संगम के बाद वाले इलाके सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। संगम के बाद गंगा में यमुना का पानी भी मिल चुका है, और इन दिनों यमुना में मध्य प्रदेश और राजस्थान का पानी भी आ रहा है। मिर्जापुर से बलिया तक गंगा की लहरें भयभीत कर रही हैं। प्रशासन पूरी तरह सतर्क है और लोगों को बचाव के लिए सतर्क रहने की हिदायत दी गई है।

बाढ़ में डूबे मंदिर और मकान
प्रयागराज के कई मंदिर और मकान बाढ़ की वजह से जलमग्न हो गए हैं। बड़े हनुमानजी का मंदिर भी पानी में डूब चुका है, अब वहां सिर्फ मंदिर की धर्मध्वजा दिखती है। संगम तट पर बने शंकर विमान मंडप भी पानी की चपेट में आ गया है। कर्जन पुल और शंकर घाट के आस-पास के कई मकान पूरी तरह डूब चुके हैं। जिन मकानों में पहली मंजिल नहीं है, वहां के लोग सुरक्षित जगह चले गए हैं। जिनके पास एक से ज्यादा मंजिलें हैं, वे ऊपर के फ्लोर में शिफ्ट हो गए हैं।

राहत कार्य में जुटी एनडीआरएफ की टीमें
बाढ़ प्रभावित इलाकों जैसे बघाड़ा, दारागंज, तेलियरगंज और सलोरी में ज्यादातर प्रतियोगी छात्र रहते हैं। इन इलाकों में राहत पहुंचाने के लिए एनडीआरएफ की टीमें लगातार घर-घर जाकर मदद कर रही हैं। बाढ़ पीड़ितों को खाने-पीने की सामग्री और जरूरी दवाइयां उपलब्ध कराई जा रही हैं।

नवजात बच्चे को कमर से ऊपर पानी में बचाने की कोशिश
बघाड़ा इलाके से एक तस्वीर सामने आई है, जिसमें एक माता-पिता अपने नवजात बच्चे को बचाने के लिए कमर तक पानी में उतर कर सुरक्षित जगह पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं। यह तस्वीर बाढ़ के भयावह हालात को दिखाती है।

यमुना किनारे भी भारी बाढ़
यमुना नदी के किनारे आगरा, इटावा, औरैया, हमीरपुर, कानपुर देहात, फतेहपुर, बांदा और चित्रकूट जिले बाढ़ की चपेट में हैं। खासतौर पर बांदा में केन नदी (यमुना की सहायक नदी) भी उफान पर है। फतेहपुर में यमुना का जलस्तर खतरनाक बढ़ चुका है और कई सड़कें डूब गई हैं। बिजली सप्लाई भी बाधित हो गई है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उठाए कड़े कदम
बाढ़ की गंभीर स्थिति को देखते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राहत कार्य के लिए 11 मंत्रियों की टीम बनाई है। ये मंत्री अपने-अपने जिलों में जाकर राहत और बचाव कार्य की निगरानी कर रहे हैं। मंत्री नंदगोपाल गुप्ता को प्रयागराज और मिर्जापुर की जिम्मेदारी सौंपी गई है।

प्रशासन की अपील
प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि वे बाढ़ प्रभावित इलाकों में सावधानी बरतें और सरकार द्वारा जारी किए गए निर्देशों का पालन करें। बचाव दल से मदद लेते रहें और सुरक्षित स्थानों पर ही रहें।

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