Edited By Moulshree Tripathi,Updated: 15 Mar, 2021 09:44 PM
देश की सुरक्षा के लिए शहीद होने वाले वीरों को अधिक से अधिक सलामी कम हैं। ये खुद हंसते हुए न्योछावर हो जाते हैं और परिजनों व देश के हिस्से में छोड़ जाते हैं नम
लखनऊः देश की सुरक्षा के लिए शहीद होने वाले वीरों को अधिक से अधिक सलामी कम हैं। ये खुद हंसते हुए न्योछावर हो जाते हैं और परिजनों व देश के हिस्से में छोड़ जाते हैं नम आंखों से विदाई देना। उत्तर प्रदेश लखनऊ के अंश्विनी कुमार महाराष्ट्र में पुणे के पास स्थित अहमदनगर रेंज में तैनात थे। शनिवार को वह शहीद हो गए।
बता दें कि शहीद की बात हमेशा अपने परिजनों से होती रहती थी। शहीद की बहन ने बताया कि दो दिन पहले की ही बात है...जब भइया का फोन आया था। कह रहा था, मम्मी फोन करना भूल गया था। तुम दवा जरूर ले लेना। कब आओगे बेटा, मम्मी जून में छुट्टियां लेकर आऊंगा। ये ही बातें तो फोन पर हुई थीं। खड़ी तीनों बहनों की आंखें में पानी आ गया इसके साथ ही मां समता देवी भी फफक पड़ीं। बता दें कि उनके शहीद होने की खबर जैसे-जैसे फैली घर के बाहर सांत्वना देने वालों का तांता लगना शुरू हो गया। इलाके में मातम पसरा हुआ है।
आगे बता दें कि शहीद अश्विनी कुमार के पिता अनिल कुमार मध्य कमान में सिविल डिफेंस के कर्मचारी हैं। मां समता देवी के अलावा तीन बहनें मानसी, खुशी और रिया का रो-रोकर बुरा हाल था। मां ने बताया कि तबीयत के बारे में पूछ रहा था। हालचाल पूछने के बाद आने का वादा किया था। कह रहा था, बस एक प्रशिक्षण के लिए अहमदनगर आया हूं। यहां मेरी टेक्निकल ट्रेनिंग होगी। लेकिन, क्या पता था शनिवार शाम को यह मनहूस खबर सुनने को मिलेगी। यह कहते ही वह फफकने लगती हैं।