Edited By Moulshree Tripathi,Updated: 09 Nov, 2020 04:27 PM
उत्तर प्रदेश के इटावा में दुगर्म चंबल घाटी की सूरत सीरत बदलने के लिये कविताओं का सहारा लिया जा रहा है। इसी कड़ी में सामाजिक संस्था चंबल फाउंडेशन के बैनर...
इटावा: उत्तर प्रदेश के इटावा में दुगर्म चंबल घाटी की सूरत सीरत बदलने के लिये कविताओं का सहारा लिया जा रहा है। इसी कड़ी में सामाजिक संस्था चंबल फाउंडेशन के बैनर तले आयोजित चंबल कविता प्रतियोगिता 2020 की रूपरेखा प्रस्तुत की गयी। प्रतियोगिता निशुल्क रखने के साथ ही आयु सीमा के बंधन से मुक्त रखी गई है।
बता दें कि प्रतियोगिता में हिंदी के साथ भदावरी, बुंदेली आदि को जोडा गया है। पहले दूसरे और तीसरे स्थान के लिए 5,4 और तीन हजार रूपये का इनाम भी घोषित किया गया है। पांच दिसंबर का रचना भेजने का समय निर्धारित किया गया है। इसके अलावा तीन विजेता प्रतिभागियों को 1100 रूपए और अन्य सभी चयनित श्रेष्ठ रचनाकारों को चंबल फाउंडेशन की तरफ से पुरस्कार राशि तथा प्रमाण-पत्र प्रदान किया जाएगा।
चंबल फाउंडेशन के प्रकाशन प्रभारी डा. कमल कुशवाहा ने बताया कि मध्य प्रदेश, उत्तरप्रदेश और राजस्थान तक विस्तृत चंबल के बीहड़ों का अतीत संघर्षमय अतीत बरसों से सृजनधर्मियों को आंदोलित करता रहा है। यह क्षेत्र और यहां की नदियां, तट और उनका रजत-मृदुल सिकता कैनवस पर उकेरी जाने वाली कल्पनाओं की तरह चित्रमय और भावमय बनाने को सहज ही उकसाती है।
उन्होंने आगे कहा कि यह चंबल की धरती जो मानवता के पक्ष में खड़े होने और विद्रोह की प्रेरक बनती आई है। आजादी के दौर में भी चंबल क्षेत्र ने शोषणकारी ताकतों से लोहा लेने की संस्कृति को विकसित किया था। यमुना-चंबल क्षेत्र के रणबांकुरे हमेशा से ही अपने तेवरों के साथ मोर्चों पर डटे रहे हैं।