Edited By Pooja Gill,Updated: 08 Nov, 2024 10:50 AM
UP By Election: उत्तर प्रदेश में 9 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव के लिए 20 नवंबर को मतदान होगा और 23 नवंबर को इसकी मतगणना होगी। चुनाव में सभी सीटों पर जीत हासिल करने के लिए भारतीय जनता पार्टी कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती। नौ विधानसभा सीट जीतने का...
UP By Election (अश्वनी सिंह): उत्तर प्रदेश में 9 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव के लिए 20 नवंबर को मतदान होगा और 23 नवंबर को इसकी मतगणना होगी। चुनाव में सभी सीटों पर जीत हासिल करने के लिए भारतीय जनता पार्टी कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती। नौ विधानसभा सीट जीतने का लक्ष्य हासिल करने के लिए भाजपा के रणनीतिकारों ने जातीय समीकरण साधने पर खास फोकस करने का फैसला किया है। इस समीकरण के तहत पार्टी जहां जातीय लिहाज से हर सीटों पर 10-10 विधायकों को प्रचार में उतारने जा रही है। पार्टी इन विधायकों को भाजपा प्रत्याशियों के लिए चुनावी माहौल तैयार करने की जिम्मेदारी देगी।
सांसदों को भी दी जिम्मेदारी
बता दें कि यूपी की नौ सीटों पर उपचुनाव के लिए मतदान 20 नवंबर को होने हैं। मतों की गिनती 23 नवंबर को होगी। जिन विधानसभा सीट पर उपचुनाव होने हैं उनमें कटेहरी (आंबेडकर नगर), करहल (मैनपुरी), मीरापुर (मुजफ्फरनगर), गाजियाबाद, मझवां (मिर्जापुर), सीसामऊ (कानपुर शहर), खैर (अलीगढ़), फूलपुर (प्रयागराज) और कुंदरकी (मुरादाबाद) शामिल हैं। इन सभी सीटों पर जीत हासिल करने के लिए भाजपा ने रणनीति तैयार की है। इस रणनीति के तहत भाजपा काम कर रही है। पार्टी ने नौ सीटों पर जातीय समीकरण साधने का ख़ास फ़ोकस किया है। रणनीति के तहत बीजेपी ने सभी सीटों पर 10-10 विधायकों को जिम्मेदारी दी है। साथ ही सांसदों को भी जिम्मेदारी देकर विपक्ष को तगड़ा टक्कर देने चक्रव्यूह तैयार किया है।
विधायकों के नेतृत्व में विशेष टीम करेगी काम
भारतीय जनता पार्टी ने अपनी रणनीति के तहत स्थानीय जनप्रतिनिधियों को बूथ और शक्ति केन्द्रों की ज़िम्मेदारी सौंपी है। सूत्रों के मुताबिक, लोकसभा चुनाव में मनमाने उम्मीदवारों को उतारे जाने से उपजी नाराजगी को दूर करने का प्रयास किया जा रहा है। इस बार सभी सीटों पर प्रत्याशियों के चयन में मंडल व जिला स्तरीय पदाधिकारियों से रायसुमारी की गई थी। इस वजह से घर बैठ चुके पदाधिकारी व कार्यकर्ता भी फील्ड में उतारे गए हैं। यही नहीं घर-घर प्रचार करने के अभियान में इन कार्यकर्ताओं को अहम जिम्मेदारी भी सौंपी गई है। एक-एक कार्यकर्ता को 10-10 घरों के परिवारों से संपर्क व संवाद करने के साथ ही बूथ तक लाने की जिम्मेदारी दी गई है। यह तय किया गया है कि जिस सीट पर जिस जाति की बहुलता होगी, उसी जाति के विधायक के नेतृत्व में एक विशेष टीम काम करेगी। इस टीम में भी उसी जाति के सर्वाधिक कार्यकर्ता और पदाधिकारी शामिल किए जाएंगे।