Edited By Pooja Gill,Updated: 29 Nov, 2024 12:51 PM
उत्तर प्रदेश की नौ विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में भाजपा गठबंधन ने 7 सीटें जीतकर उनपर कमल खिलाया है। उपचुनावों के परिणाम के बाद योगी कैबिनेट में फेरदबल की अटकलें लगनी शुरू हो गई हैं। राजनीतिक गलियारों में प्रदेश मंत्रिमंडल में फेरबदल की सुगबुगाहट...
लखनऊ : उत्तर प्रदेश की नौ विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में भाजपा गठबंधन ने 7 सीटें जीतकर उनपर कमल खिलाया है। उपचुनावों के परिणाम के बाद योगी कैबिनेट में फेरदबल की अटकलें लगनी शुरू हो गई हैं। राजनीतिक गलियारों में प्रदेश मंत्रिमंडल में फेरबदल की सुगबुगाहट काफी तेज हो गई है। कई विधायक जहां मंत्री बनने के लिए जोड़-तोड़ में जुट गए हैं।
सहयोगी भी कर सकते हैं दावेदारी
गौरतलब है कि सहयोगी दल के नेता भी मंत्रिमंडल में अपनी जगह बनाने की होड़ में लगे हुए हैं। हालांकि, मंत्रिमंडल में फेरबदल दिल्ली विधानसभा चुनाव के बाद ही संभव है। सूत्रों की मानें तो इस बार योगी कैबिनेट में बड़े पैमाने पर फेरबदल के चलते कई कैबिनेट और राज्यमंत्रियों का पत्ता साफ हो सकता है।
दिल्ली में जल्द हो सकती है बैठक
विधानसभा उपचुनाव के बाद से राज्य सरकार मिशन-2027 की तैयारी में जुट गई है। जिसे देखते हुए यह कयास लगाया जा रहा है कि इस बार मंत्रिमंडल विस्तार को अधिक समय तक टाला नहीं जाएगा। सूत्रों के मुताबिक इस संबंध में जल्द ही दिल्ली में बैठक हो सकती है। जिसमें मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर रूपरेखा तय की जाएगी। बता दें कि विधानसभा उपचुनाव के पहले से ही मंत्रिमंडल में फेरबदल की कयासबाजी शुरू हो गई थी, लेकिन किसी न किसी वजह से यह मामला टल रहा था।
दलित-ओबीसी समीकरण साधने की तैयारी
लोकसभा चुनाव में ओबीसी और दलित मतदाताओं के बिखराव ने भाजपा को गहरी चोट दी थी। जिसके चलते भाजपा काफी डगमगा गई थी। लोकसभा चुनाव में मिले भारी नुकसान की भरपाई के लिए भाजपा ने उपचुनाव में अपनी पूरी ताकत झोंक दी। जिसके परिणाम बीजेपी की ऐतिहासिक जीत के रूप में देखने को मिले। 2027 में भी भारतीय जनता पार्टी भगवा लहरा सके इसलिए ओबीसी और दलित समीकरण साधने के लिहाज से मंत्रिमंडल विस्तार में इन जातियों के बड़े चहरे शामिल किए जा सकते हैं।
उपचुनाव जीतने वाले विधायकों को मिल सकता है मौका
मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर कयास यह भी लगाए जा रहे हैं कि विधानसभा उपचुनाव में जीत दर्ज करने वाले विधायकों को भी मौका दिया जा सकता है। खास तौर से जिन सीटों पर भाजपा सालों से हाथ मल रही थी और इस बार वोटबैंक साधने में कामियाब रही है, वहां से जीतने वाले विधायकों को मंत्रीपद देकर पुरस्कृत किया जा सकता है। वहीं, लंबे समय से मंत्री रहने के बावजूद बेहतर परिणाम न देने वाले कई मंत्रियों की कुर्सियां छिन सकती हैं।