'लव जिहाद' कानून पर सुप्रीम कोर्ट का रोक से इनकार, UP-उत्तराखंड सरकार से मांगा जवाब

Edited By Tamanna Bhardwaj,Updated: 06 Jan, 2021 05:27 PM

supreme court refuses to ban  love jihad  law seeks

उच्चतम न्यायालय ने उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में विवाह के लिये धर्मान्तरण को रोकने के लिये बनाये गये कानूनों पर रोक लगाने से बुधवार को इंकार कर दिया। हालांकि, न्यायालय ने इन कानूनों के खिलाफ दायर याचिकाओं पर दोनों राज्य सरकारों को नोटिस जारी किये।...

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में विवाह के लिये धर्मान्तरण को रोकने के लिये बनाये गये कानूनों पर रोक लगाने से बुधवार को इंकार कर दिया। हालांकि, न्यायालय ने इन कानूनों के खिलाफ दायर याचिकाओं पर दोनों राज्य सरकारों को नोटिस जारी किये। प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमणियन की पीठ ने इन कानूनों को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा कि राज्य सरकारों का पक्ष सुने बगैर कोई आदेश नहीं दिया जा सकता है।

अधिवक्ता विशाल ठाकरे और अन्य तथा गैर सरकारी संगठन ‘सिटीजन फॉर जस्टिस एंड पीस' ने उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश 2020 और उत्तराखंड धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम 2018 की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी है। इन याचिकाओं पर सुनवाई शुरू होते ही सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय में पहले से ही यह मामला लंबित है। इस पर पीठ ने याचिकाकर्ता से कहा कि उसे इलाहाबाद उच्च न्यायालय जाना चाहिए। एक याचिकाकर्ता ने जब यह कहा कि शीर्ष अदालत को ही इन कानूनों की वैधता पर विचार करना चाहिए तो पीठ ने कहा कि यह स्थानांतरण याचिका नहीं है जिसमें कानून से जुड़े सारे मामले वह अपने यहां मंगा ले। हालांकि, गैर सरकारी संगठन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सी यू सिंह ने न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) दीपक गुप्ता के एक फैसले का हवाला देते हुए कहा कि इसी तरह के कानून विभिन्न राज्यों में बनाये जा रहे हैं।

उन्होंने इस कानूनों के प्रावधानों पर रोक लगाने का अनुरोध करते हुये कहा कि लोगों को शादी के बीच से उठाया जा रहा है। सिंह ने कहा कि इस कानून के कुछ प्रावधान तो बेहद खतरनाक और दमनकारी किस्म के हैं और इनमें शादी से पहले सरकार से अनुमति लेने की आवश्यकता का प्रावधान भी है, जो सरासर बेतुका है। पीठ ने कहा कि वह इन याचिकाओं पर नोटिस जारी करके दोनों राज्यों से चार सप्ताह के भीतर जवाब मांग रही है। सिंह ने जब कानून के प्रावधानों पर रोक लगाने पर जोर दिया तो पीठ ने कहा कि राज्यों का पक्ष सुने बगैर ही इसका अनुरोध किया जा रहा है। पीठ ने कहा, ‘‘ऐसा कैसे हो सकता है?'' उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्रिमंडल ने राज्य में कथित लव जिहाद की घटनाओं के परिप्रेक्ष्य में उप्र विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश, 2020 जारी किया था, जिसे राज्यपाल अनंदीबेन पटेल ने 28 नवंबर को अपनी संस्तुति प्रदान की थी।

इस कानून के तहत विधि विरुद्ध किया गया धर्म परिवर्तन गैर जमानती अपराध है। यह कानून सिर्फ अंतर-धार्मिक विवाहों के बारे में है लेकिन इसमें किसी दूसरे धर्म को अंगीकार करने के बारे में विस्तृत प्रक्रिया निर्धारित की गयी है। इस कानून में विवाह के लिये छल कपट, प्रलोभन या बलपूर्वक धर्मांतरण कराये जाने पर अधिकतम 10 साल की कैद और जुर्माने का प्रावधान है। इसी तरह, उत्तराखंड धार्मिक स्वतंत्रता कानून, 2018 में छल कपट, प्रलोभन या बलपूर्वक धर्मांतरण कराने का दोषी पाये जाने पर दो साल की कैद का प्रावधान है। ठाकरे और अन्य का कहना था कि वे उप्र सरकार के अध्यादेश से प्रभावित हैं क्योंकि यह संविधान में प्रदत्त नागरिकों के मौलिक अधिकारों को कम करता है। इनकी याचिका में कहा गया है कि उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड द्वारा‘लव जिहाद' के खिलाफ बनाये गये कानून और इसके तहत दंड को अवैध और अमान्य घोषित किया जाये क्योंकि यह संविधान के बुनियादी ढांचे को प्रभावित करता है।

याचिका के अनुसार उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा पारित अध्यादेश और उत्तराखंड का कानून आमतौर पर लोक नीति और समाज के विरुद्ध है। गैर सरकारी संगठन ने अपनी याचिका में कहा है कि दोनों कानून संविधान के अनुच्छेद 21 और 25 का उल्लंघन करते हैं क्योंकि ये राज्य को लोगों की व्यक्तिगत स्वतंतत्रा और अपनी इच्छा के धर्म का पालन करने की स्वतंत्रता के अधिकार को दबाने का अधिकार प्रदान करता है। इस संगठन के अनुसार उप्र का अध्यादेश स्थापित अपराध न्याय शास्त्र के विपरीत आरोपी पर ही साक्ष्य पेश करने की जिम्मेदारी डालता है। याचिका में उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड द्वारा बनाये गये इन कानूनों को संविधान के खिलाफ करार देने का अनुरोध किया गया है। 
 

Related Story

Trending Topics

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!