Edited By Pooja Gill,Updated: 12 Sep, 2024 10:27 AM
Radhashtami: राधा अष्टमी के अवसर पर बुधवार को सैकड़ों श्रद्धालुओं ने बरसाना के लाडली मंदिर में राधा रानी की पूजा की और उन्हें 51 क्विंटल दूध, दही, शहद और अन्य वस्तुओं से स्नान कराया गया...
Radhashtami: राधा अष्टमी के अवसर पर बुधवार को सैकड़ों श्रद्धालुओं ने बरसाना के लाडली मंदिर में राधा रानी की पूजा की और उन्हें 51 क्विंटल दूध, दही, शहद और अन्य वस्तुओं से स्नान कराया गया। श्रद्धालुओं ने बाद में राधा रानी को 31 लाख रुपये की पोशाक और आभूषणों से सजाया। अभिषेक (स्नान) समारोह सुबह ब्रह्म मुहूर्त के दौरान वैदिक मंत्रोच्चार के बीच आयोजित किया गया। लाडली मंदिर के पुजारी रास बिहारी गोस्वामी ने कहा, “51 क्विंटल दूध, दही, शहद, खांडसारी, घी और ग्यारह प्रकार की जड़ी-बूटियों के मिश्रण से अभिषेक किया गया।”
31 लाख के आभूषणों से राधा रानी को सजाया
पुजारी ने कहा, “इसके बाद आरती की गई और सोने के पालने में दर्शन किया गया। ‘राधे-राधे' के मंत्रों के बीच 31 लाख रुपये से अधिक मूल्य की पोशाक और आभूषणों से राधा रानी को सजाया गया।” उन्होंने कहा कि उत्सव में भाग लेने के लिए मंदिर में एकत्र हुए सैकड़ों श्रद्धालुओं ने धार्मिक गीत गाते हुए गहवर वन की परिक्रमा की। पुलिस अधीक्षक ने कहा कि क्षेत्र में श्रद्धालुओं का तांता लगने बावजूद किसी अप्रिय घटना की सूचना नहीं मिली है। वृंदावन के राधा बल्लभ मंदिर में भी राधा अष्टमी मनाई गई। मंदिर के अधिकारियों ने बताया कि बुधवार शाम जब 17 ड्रोनों द्वारा मंदिर की छत्रछाया और भगवान के पालने पर गुलाब की पंखुड़ियों की वर्षा की गई तो लाडली मंदिर बरसाना में जबरदस्त धार्मिक उत्साह छा गया और माहौल राधे राधे की नाद से गूंज उठा। उन्होंने कहा कि खराब मौसम के कारण हेलिकॉप्टर बरसाना में उड़ान नहीं भर सका।
10 लाख से अधिक तीर्थयात्रियों ने किए दर्शन
पुजारी ने बताया, “शाम को ढोल, बांसुरी, शहनाई और शंख की ध्वनि के बीच भगवान की पालकी को फिर से मंदिर के गर्भगृह की ओर लाया गया। भगवान को वापस लाने से पहले पुजारी की किशोरी लड़की द्वारा भगवान की 'आरती' की गई। अंत में, भगवान को एक भव्य सुसज्जित आसन पर वापस गर्भगृह में लाया गया।” वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक शैलेश कुमार पांडे ने बताया कि 10 लाख से अधिक तीर्थयात्रियों ने ‘दर्शन' के माध्यम से या राधा रानी के प्रसिद्ध खेल मैदान 'गहवर वन' की परिक्रमा के माध्यम से देवी को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की।