मुजफ्फरनगर दंगा : भाजपा विधायक विक्रम सैनी समेत 12 दोषियों को दो साल की सजा, मिली जमानत

Edited By PTI News Agency,Updated: 14 Oct, 2022 07:18 PM

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मुजफ्फरनगर (उत्तर प्रदेश), 11 अक्टूबर (भाषा) मुजफ्फरनगर में 2013 में हुए साम्प्रदायिक दंगों की जड़ कहे जाने वाले कवाल कांड मामले में विशेष एमपी/एमएलए अदालत ने मंगलवार को भाजपा विधायक विक्रम सैनी तथा 11 अन्य को दोषी करार देते हुए दो—दो साल की...

मुजफ्फरनगर (उत्तर प्रदेश), 11 अक्टूबर (भाषा) मुजफ्फरनगर में 2013 में हुए साम्प्रदायिक दंगों की जड़ कहे जाने वाले कवाल कांड मामले में विशेष एमपी/एमएलए अदालत ने मंगलवार को भाजपा विधायक विक्रम सैनी तथा 11 अन्य को दोषी करार देते हुए दो—दो साल की कैद और जुर्माने की सजा सुनायी। हालांकि सभी को निजी मुचलके पर रिहा भी कर दिया गया।

विशेष एमपी/एमएलए अदालत के न्यायाधीश गोपाल उपाध्याय ने खतौली क्षेत्र से भाजपा विधायक विक्रम सैनी तथा 11 अन्य अभियुक्तों को भारतीय दण्ड विधान की धारा 336 (जीवन को खतरा पैदा करने), 353 (सरकारी काम में बाधा डालने के लिये आपराधिक हमला), 147 (दंगा करना), 148 (घातक शस्त्रों से दंगा फैलाना), 149 (गैरकानूनी रूप से भीड़ जमा करना) तथा आपराधिक विधि संशोधन अधिनियम की धारा सात के तहत दोषी करार देते हुए दो—दो साल की कैद तथा 10—10 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनायी।

अदालत ने मामले के 15 अभियुक्तों को सुबूतों के अभाव में बरी कर दिया।

हालांकि सजा सुनाये जाने के बाद भाजपा विधायक तथा अन्य दोषियों को 25—25 हजार रुपये के दो मुचलकों पर रिहा कर दिया गया। हालांकि जमानत मिलने से पहले इन सभी को कई घंटों तक न्यायिक हिरासत में रखा गया। जमानत मिलने के बाद अब वे अदालत के फैसले को उच्च न्यायालय में चुनौती दे सकेंगे।

भाजपा विधायक विक्रम सैनी तथा 26 अन्य के खिलाफ मुजफ्फरनगर दंगों की मुख्य वजह माने जाने वाले कवाल कांड मामले में मुकदमा दर्ज किया गया था।

कवाल गांव में अगस्त 2013 में छेड़खानी के एक मामले में गौरव और सचिन तथा शाहनवाज नामक युवकों की हत्या की गयी थी। इस घटना ने साम्प्रदायिक रंग ले लिया था। गौरव और सचिन का अंतिम संस्कार करके लौट रही भीड़ ने हिंसक रुख अख्तियार करते हुए कई मकानों को आग लगा दी थी। इस मामले में सैनी के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत कार्यवाही की गयी थी।

कवाल कांड के बाद सितम्बर 2013 में मुजफ्फनगर और आसपास के कुछ जिलों में साम्प्रदायिक दंगे भड़क उठे थे, जिनमें कम से कम 60 लोग मारे गये थे तथा 40 हजार अन्य लोगों को अपना घर—बार छोड़कर सुरक्षित स्थानों पर जाना पड़ा था।


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