Edited By Pooja Gill,Updated: 08 Jun, 2023 01:42 PM

Prayagraj News: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक अहम फैसले में कहा है कि, गाय-बैल को रखना या उन्हें उत्तर प्रदेश के भीतर एक से दूसरे स्थान पर ले जाना गो हत्या निषेध कानून-1955 के तहत अपराध के दायरे में नहीं आएगा। न्यायमूर्ति विक्रम डी चौहान ने कुशीनगर...
Prayagraj News: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक अहम फैसले में कहा है कि, गाय-बैल को रखना या उन्हें उत्तर प्रदेश के भीतर एक से दूसरे स्थान पर ले जाना गो हत्या निषेध कानून-1955 के तहत अपराध के दायरे में नहीं आएगा। न्यायमूर्ति विक्रम डी चौहान ने कुशीनगर जिले के रहने वाले कुंदन यादव की जमानत अर्जी स्वीकार करते हुए कहा कि, अपर शासकीय अधिवक्ता ने यह साबित करने के लिए कोई तथ्य पेश नहीं किया है कि याचिकाकर्ता ने गाय की हत्या की या फिर गोहत्या का कारण बना।

मिली जानकारी के मुताबिक, अदालत ने कहा कि “जीवित गाय-बैल को रखना या उन्हें प्रदेश में एक से दूसरे स्थान पर ले जाना मात्रा उक्त कानून के दायरे में नहीं आएगा। किसी गाय या उसके बछड़े को किसी तरह की चोट पहुंचाई गई, जिससे उसका जीवन खतरे में आ गया, यह प्रदर्शित करने के लिए अपर शासकीय अधिवक्ता द्वारा कोई तथ्य पेश नहीं किया गया।” उच्च न्यायालय ने कहा कि, “उक्त बातों को देखते हुए प्रथम दृष्टया याचिकाकर्ता गो हत्या निषेध कानून के प्रावधानों के तहत दोषी नहीं है। इस मामले के तथ्यों और परिस्थितियों पर विचार करते हुए अदालत का मानना है कि याचिकाकर्ता को जमानत दिए जाने का मामला बनता है। इसलिए जमानत अर्जी स्वीकार की जाती है।”
यह भी पढ़ेंः खौफनाक मर्डर! ट्री कटर से किए प्रेमिका के शरीर के टुकड़े, फिर कुकर में उबालकर मिक्सी में पीसा

गोमांस की बरामदगी का कोई गवाह नहीं हैः वकील
याचिकाकर्ता के वकील ने अपनी दलील में कहा कि, उसके मुवक्किल को इस मामले में झूठा फंसाया गया है। उसने कहा, “गोमांस की बरामदगी का कोई गवाह नहीं है। एक वाहन से छह गायें बरामद की गई थीं, लेकिन कथित अपराध से याचिकाकर्ता का संबंध साबित करने के लिए कोई साक्ष्य नहीं हैं।” वकील ने कहा, “याचिकाकर्ता छह मार्च 2023 से जेल में बंद है, जबकि सह-आरोपी गोलू और गुड्डू यादव को पहले ही जमानत पर रिहा किया जा चुका है।” अदालत द्वारा यह आदेश 24 मई 2023 को पारित किया गया था। हाल ही में इसे उच्च न्यायालय की वेबसाइट पर अपलोड किया गया है।