Edited By Anil Kapoor,Updated: 23 Dec, 2018 11:43 AM
मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान जैसे 3 हिंदी भाषी राज्यों में सीटें जीतने के मामले में खराब प्रदर्शन करने के बावजूद बसपा का महत्व कम नहीं है। मध्य प्रदेश में बसपा ने 227 सीटों पर चुनाव लड़ा था और केवल 2 में जीत हासिल की थी मगर उसे 5 प्रतिशत वोट...
लखनऊ: मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान जैसे 3 हिंदी भाषी राज्यों में सीटें जीतने के मामले में खराब प्रदर्शन करने के बावजूद बसपा का महत्व कम नहीं है। मध्य प्रदेश में बसपा ने 227 सीटों पर चुनाव लड़ा था और केवल 2 में जीत हासिल की थी मगर उसे 5 प्रतिशत वोट मिले। 2013 के चुनाव में बसपा ने 4 सीटें जीती थीं। यद्यपि पार्टी को सीटें कम मिलीं मगर 5 प्रतिशत वोट किसी भी चुनाव में संतुलन बिगाड़ सकते हैं।
सपा को 1.3 प्रतिशत वोट मिले और वह 1 सीट जीती। इसी तरह छत्तीसगढ़ में बसपा को 2 सीटें मिलीं और उसने 4 प्रतिशत वोट हासिल किए। बसपा के सांझीदार जोगी गुट को 5 सीटों पर विजय मिली और उसे 7.6 प्रतिशत वोट मिले। राजस्थान में बसपा ने 189 सीटों पर चुनाव लड़ा और 6 में जीत हासिल की तथा 4 प्रतिशत वोट मिले। कांग्रेस बसपा प्रमुख मायावती के साथ समझौता करने की इच्छुक रही मगर बसपा प्रमुख नहीं मानीं।
कांग्रेस नेतृत्व ने कहा कि उसने बसपा को 3 राज्यों में 45 सीटों की पेशकश की थी। मध्य प्रदेश में 25, छत्तीसगढ़ में 10 और राजस्थान में 10 सीटें शामिल थीं मगर वह 70 सीटें मांगती थी जो संभव नहीं था। अब कांग्रेस 3 राज्यों में लड़ाई जीत गई है और अब भी अखिल भारतीय स्तर पर बसपा के साथ समझौता करने की इच्छुक है। मायावती उत्तर प्रदेश के बाहर कांग्रेस और उनके सहयोगियों से 60 सीटों की मांग करती हैं ताकि वह कम से कम 100 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ सकें और प्रधानमंत्री पद के सशक्त उम्मीदवार के रूप में उभर सकें। कांग्रेस इस बात को लेकर बड़ी दुविधा में है।