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अब Dhirendra Shastri को लेकर Swami Prasad Maurya के बिगड़े बोल, बताया दिमाग से दिवालिया

Edited By Anil Kapoor,Updated: 26 Jan, 2023 10:27 AM

now swami prasad maurya s bad words about dhirendra shastri

समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के कद्दावर नेता स्वामी प्रसाद मौर्य (Swami Prasad Maurya) श्रीरामचरितमानस (ShriRamcharitmanas) पर दिए विवादित बयान के बाद चारों तरफ से विरोध का सामना कर रहे हैं। इस दौरान कुछ नेता उनका खुलेआम समर्थन कर रहे हैं, जबकि...

लखनऊ: समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के कद्दावर नेता स्वामी प्रसाद मौर्य (Swami Prasad Maurya) श्रीरामचरितमानस (ShriRamcharitmanas) पर दिए विवादित बयान के बाद चारों तरफ से विरोध का सामना कर रहे हैं। इस दौरान कुछ नेता उनका खुलेआम समर्थन कर रहे हैं, जबकि विपक्षी पार्टियों के नेता लगातार उनपर निशाना साध रहे हैं। इसी बीच स्वामी प्रसाद मौर्य (Swami Prasad Maurya) ने बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री (Dhirendra Shastri) के खिलाफ एक बड़ा बयान दे दिया है। स्वामी ने कथावाचक धीरेंद्र शास्त्री (Dhirendra Shastri,) को मंदबुद्धि बताते हुए कहा कि वह दिमाग से दिवालिया हैं।

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मैं अपनी बात पर कामय हूं और आगे भी कायम रहूंगा: स्वामी प्रसाद मौर्य
जानकारी के मुताबिक, स्वामी प्रसाद मौर्य ने रामचरितमानस पर दिए बयान पर कहा कि मैंने कोई आपत्तिजनक टिप्पणी नहीं की है। उन्होंने कहा कि मैं अपनी बात पर कामय हूं और आगे भी कायम रहूंगा। मौर्य ने कहा कि हमने रामायण या किसी भगवान पर टिप्पणी नहीं की है। हमने चौपाई के उस अंश पर टिप्पणी की जिसमें समस्त महिलाओं, दलितों और पिछड़ों को अपमानित करने का काम किया गया है। मैंने उस अंश को हटाने की बात की थी। उन्होंने आगे कहा कि सपा प्रमुख अखिलेश यादव मुझसे नाराज नहीं हैं, अगर वह मुझे नाराज होते तो मुझसे कुछ कहते। मौर्य ने कहा कि संत महंतों को धर्म आचार्यों को, बड़े-बड़े पुजारी पंडों को अगर गाली अच्छी नहीं लगती है, तो हम को कैसे गाली अच्छी लगेगी।

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स्वामी प्रसाद मौर्य के इस बयान पर बढ़ा था विवाद
गौरतलब है कि सपा एमएलसी ने रामचरितमानस की कुछ पंक्तियों पर विरोध जताया था। उन्होंने कहा कि जाति, वर्ण और वर्ग के आधार पर यदि समाज के किसी वर्ग का अपमान हुआ है तो वह निश्चित रूप से धर्म नहीं है। यह 'अधर्म' है, नेता कहा कि रामचरित मानस की कुछ पंक्तियों में तेली और 'कुम्हार' जैसी जातियों के नामों का उल्लेख है जो जनजातियों के लाखों लोगों की भावनाओं को आहत करती हैं। सरकार को इस पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए।

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