रामचरितमानस विवाद में कूदी मायावती, कहा- पूरे प्रकरण में बीजेपी और सपा की मिलीभगत

Edited By Tamanna Bhardwaj,Updated: 30 Jan, 2023 11:52 AM

mayawati jumped into the ramcharitmanas controversy

उत्तर प्रदेश की सियासत में रामचरितमानस विवाद ने तूल पकड़ा हुआ है। इस विवाद में अब बसपा सुप्रीमो मायावती भी कूद पड़ी हैं। मायावती ने निशाना साधते अखिलेश यादव की चुप्पी पर सवाल उठाते हुए इस पूरे प्र...

लखनऊ/ नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश की सियासत में रामचरितमानस विवाद ने तूल पकड़ा हुआ है। इस विवाद में अब बसपा सुप्रीमो मायावती भी कूद पड़ी हैं। मायावती ने निशाना साधते अखिलेश यादव की चुप्पी पर सवाल उठाते हुए इस पूरे प्रकरण को बीजेपी और सपा की मिलीभगत करार दिया है। उन्होंने कहा कि जाति और धर्म के आधार पर राजनीति करना बीजेपी की पहचान है, लेकिन अब सपा भी उसी रास्ते पर है जोकि दुखद और दुर्भाग्यपूर्ण है। इस पर मायावती ने सिलसिलेवार 3 ट्वीट किए हैं।
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मायावती ने ट्वीट कर लिखा कि संकीर्ण राजनीतिक व चुनावी स्वार्थ हेतु नए-नए विवाद खड़ा करके जातीय व धार्मिक द्वेष, उन्माद-उत्तेजना व नफरत फैलाना, बायकाट कल्चर, धर्मान्तरण को लेकर उग्रता आदि भाजपा की राजनीतिक पहचान सर्वविदित है किन्तु रामचरितमानस की आड़ में सपा का वही राजनीतिक रंग-रूप दुःखद व दुर्भाग्यपूर्ण।

 

अगले ट्वीट में लिखा कि रामचरितमानस के विरुद्ध सपा नेता की टिप्पणी पर उठे विवाद व फिर उसे लेकर भाजपा की प्रतिक्रियाओं के बावजूद सपा नेतृत्व की चुप्पी से स्पष्ट है कि इसमें दोनों पार्टियों की मिलीभगत है ताकि आगामी चुनावों को जनता के ज्वलन्त मुद्दों के बजाए हिन्दू-मुस्लिम उन्माद पर पोलाराइज किया जा सके।

 

आखिरी ट्वीट में लिखा कि उत्तर प्रदेश में विधानसभा के हुए पिछले आमचुनाव को भी सपा-भाजपा ने षडयंत्र के तहत मिलीभगत करके धार्मिक उन्माद के जरिए घोर साम्प्रदायिक बनाकर एक-दूसरे के पूरक के रूप में काम किया, जिससे ही भाजपा दोबारा से यहाँ सत्ता में आ गई। ऐसी घृणित राजनीति का शिकार होने से बचना जरूरी।

 

क्या कहा था स्वामी प्रसाद ने? 
जानने योग्य है कि बीते दिनों सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने रामचरित मानस को लेकर विवादित बयान दिया। जिसके बाद से वह संतों, नेताओं और हिन्दू संगठनों के निशाने पर आ गए हैं। उन्होंने कहा था कि कई करोड़ लोग रामचरित मानस को नहीं पढ़ते, सब बकवास है। यह तुलसीदास ने अपनी खुशी के लिए लिखा है। सरकार को इसका संज्ञान लेते हुए रामचरित मानस से जो आपत्तिजनक अंश है, उसे बाहर करना चाहिए या इस पूरी पुस्तक को ही बैन कर देना चाहिए। स्वामी प्रसाद मौर्य ने आपत्ति जताते हुए कहा था कि तुलसीदास की रामचरितमानस में कुछ अंश ऐसे हैं, जिनपर हमें आपत्ति है, क्योंकि किसी भी धर्म में किसी को भी गाली देने का कोई अधिकार नहीं है। तुलसीदास की रामायण की चौपाई है। इसमें वह शुद्रों को अधम जाति का होने का सर्टिफिकेट दे रहे हैं।

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