Edited By Ramkesh,Updated: 03 May, 2025 12:45 PM

उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री बसपा सुप्रीमो मायावती ने जातीय जनगणना को लेकर कांग्रेस- बीजेपी पर जमकर हमला बोला है। उन्होंने कहा कि सन् 1931 व आज़ादी के बाद पहली बार देश में जातीय जनगणना कराने के केन्द्र के निर्णय का श्रेय लेने में कांग्रेस यह...
लखनऊ: उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री बसपा सुप्रीमो मायावती ने जातीय जनगणना को लेकर कांग्रेस- बीजेपी पर जमकर हमला बोला है। उन्होंने कहा कि सन् 1931 व आज़ादी के बाद पहली बार देश में जातीय जनगणना कराने के केन्द्र के निर्णय का श्रेय लेने में कांग्रेस यह भूल गयी कि दलित व ओबीसी समाज के करोड़ों लोगों को आरक्षण सहित उनके संवैधानिक हक़ से वंचित रखने में उसका इतिहास काला अध्याय है व इस कारण उसे सत्ता भी गंवानी पड़ी है।
दलित व ओबीसी समाज के प्रति नया उभरा प्रेम विश्वास से परे
मायातवी ने कहा कि किन्तु सत्ता विहीन होने के बाद कांग्रेस नेतृत्व का खासकर दलित व ओबीसी समाज के प्रति नया उभरा प्रेम विश्वास से परे इन वर्गों के वोट के स्वार्थ की खातिर छलावा की अवसरवादी राजनीति। वैसे भी आरक्षण को निष्क्रिय बनाकर अन्ततः इसको खत्म करने की इनकी नापाक मंशा को कौन भुला सकता है?
भाजपा - कांग्रेस एक ही थैली के चट्टे-बट्टे
उन्होंने कहा कि वैसे आरक्षण व संविधान के जनकल्याणकारी उद्देश्यों को फेल करने में भाजपा भी कांग्रेस से कम नहीं, बल्कि दोनों एक ही थैली के चट्टे-बट्टे हैं। किन्तु अब वोटों के स्वार्थ व सत्ता के मोह के कारण भाजपा को भी जातीय जनगणना की जन अकांक्षा के आगे झुकना पड़ा है, जिसका स्वागत। मायावती ने कहा कि साथ ही, संविधान निर्माता बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर को भारतरत्न से सम्मानित करने से लेकर धारा 340 के तहत ओबीसी को आरक्षण देने जैसे अनेकों मामलों में कांग्रेस व भाजपा का रवैया जातिवादी व द्वेषपूर्ण रहा है, किन्तु इनके वोट की राजनीति के खेल निराले हैं। लोग सावधान रहें।
गौरतलब है कि केन्द्र की मोदी सरकार ने जातीय जनगणना कराने का फैसला लिया है। इसे बाद इस फैसले का पूरा विपक्ष और सत्तपक्ष ने स्वागत किया है। इसे लेकर कांग्रेस पार्टी का दावा है कि भाजपा सरकार ने इंडिया गठबंधन के दबाव में यह फैसला लिया है। फिलहाल इस फैसले को राहुल गांधी विपक्ष की जीत बता रहे हैं जबकि सत्ता पक्ष का दावा कर रहा है कि हम समाज के निचले पायदान पर खड़े व्यक्ति को समाजा की मुख्यधारा में जोड़ कर उसे राजनीति और समाजिक अधिकार देना चाहते हैं।