Edited By Tamanna Bhardwaj,Updated: 26 Sep, 2020 11:06 AM
पंजाब सरकार (Punjab Government) के वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल (Manpreet Singh Badal) ने शुक्रवार को कहा कि संसद (Parliament) में तानाशाही तरीके से तीन कृषि विधेयक (farm Bill) पारित कराने से केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार (Narendra Modi...
लखनऊ: पंजाब सरकार (Punjab Government) के वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल (Manpreet Singh Badal) ने शुक्रवार को कहा कि संसद (Parliament) में तानाशाही तरीके से तीन कृषि विधेयक (farm Bill) पारित कराने से केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार (Narendra Modi government) का किसान विरोधी चेहरा उजागर हुआ है। मनप्रीत बादल ने उत्तर प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय (Uttar Pradesh Congress Headquarters) पर आयोजित प्रेस कांफ्रेंस (Press conference) में कहा कि संसद में चर्चा और प्रक्रिया अपनाए बगैर तानाशाही तरीके से तीन कृषि विधेयक पारित करने से मोदी सरकार का किसान विरोधी चेहरा सामने आया है। उन्होंने कहा कि खुद को किसान हितैषी बताने वाली मोदी सरकार ने सत्ता में आने से पहले किसानों की आय दोगुनी करने का संकल्प लिया था, मगर छह साल के भाजपा के शासनकाल में कृषि विकास दर मात्र 3.1 प्रतिशत रह गयी है, जो पूर्ववर्ती कांग्रेसनीत सरकार के शासनकाल में 4.3 प्रतिशत थी।
मनप्रीत ने कहा, ‘‘इस साल कृषि आय 14 साल में सबसे कम है। किसान की उपज का दाम पिछले 18 साल में इस साल सबसे कम आया है। प्रधानमंत्री ने कहा था कि वह स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशें लागू करेंगे लेकिन उसे लागू न करके किसानों के साथ विश्वासघात किया है।'' उन्होंने कहा, ‘‘किसानों की हालत इतनी दयनीय हो चुकी है कि आज देश में हर घंटे एक किसान आत्महत्या करने को विवश है। मोदी सरकार ने सत्ता में आने के बाद से अब तक कार्पोरेट कर लगभग 40 प्रतिशत घटाया है और उद्योगपतियों के 6.6 लाख करोड़ रूपये के कर्ज विभिन्न तरीके से माफ किये हैं।''
कांग्रेस नेता ने कहा कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत किसानों से ऊंची दर पर प्रीमियम लिया जा रहा है अकेले हरियाणा में बीमा कंपनियों ने किसानों से 10 हजार करोड़ रूपये कमाया है। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा पारित कराये गये विधेयकों के कानून बनने से जहां एक तरफ हमारे देश और प्रदेश के किसान अधिकारविहीन और बेचारा बनकर रह जायेंगे वहीं मंडी परिषद और विपणन समितियों का खात्मा हो जाएगा। इससे लाखों कर्मचारियों को नौकरी से हाथ धोना पड़ेगा। मंडी परिषद की आय से ग्राम स्तर तक जो विकास कार्य हो रहे हैं वह बन्द हो जायेंगे।