यूपी में सत्ता के नशे में चूर BJP नेताओं के घूंसे चलते हैं, न्याय का राज नहीं: जयंत चौधरी

Edited By Pooja Gill,Updated: 02 Jan, 2024 09:47 AM

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मेरठ: राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) के अध्यक्ष और राज्यसभा सदस्य जयंत चौधरी ने मेरठ नगर निगम बोर्ड की बैठक में विपक्षी दलों के पार्षदों की कथित पिटाई के मामले में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर आरोप लगाते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश में सत्ता के नशे...

मेरठ: राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) के अध्यक्ष और राज्यसभा सदस्य जयंत चौधरी ने मेरठ नगर निगम बोर्ड की बैठक में विपक्षी दलों के पार्षदों की कथित पिटाई के मामले में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर आरोप लगाते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश में सत्ता के नशे में चूर भाजपा नेताओं के घूंसे चलते हैं, यहां न्याय का राज नहीं है। मेरठ में नगर निगम की बोर्ड बैठक में मारपीट, हंगामा और बवाल मामले ने विपक्ष को एकजुट कर दिया है। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय और आजाद समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चंद्रशेखर आजाद के बाद सोमवार को जयंत चौधरी ने जाहिदपुर पहुंचकर पहुंचकर पार्षदों से मुलाकात की।

जयंत चौधरी ने कहा, ''इस मामले को सुनकर मैं अपनी नैतिक जिम्मेदारी समझते हुए यहां आया हूं। अभी भी पीड़ितों को धमकी दी जा रही है, लेकिन वे अडिग हैं और मैं उनकी लड़ाई में उनके साथ हूं। जो पंचायत होगी तो मैं उसमें भी शामिल रहूंगा।'' उन्होंने भाजपा पर आरोप लगाया कि उत्तर प्रदेश में सत्ता के नशे में चूर भाजपा नेताओं के घूंसे चलते हैं, यहां न्याय का राज नहीं है। यह भी अपने आप में दुखद है कि विधायक और मंत्री खुद मारपीट कर रहे हैं। वह सीएम योगी से भी पूछना चाहते हैं कि उनके विधायक और मंत्री के घूसे भारी हैं या फिर जनप्रतिनिधियों के अधिकार भारी हैं जिनके मुद्दे जनता से सीधे जुड़े हुए हैं।

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रालोद नेता ने कहा कि सीएम योगी को सोचना चाहिए कि यदि उनकी टीम में इस तरह के लोग हैं तो कहां है न्याय और कानून व्यवस्था? इस पर उन्हें खुद ही एक्शन लेना चाहिए। रविवार को मेरठ आए चंद्रशेखर आजाद ने इस मामले में 10 जनवरी को मेरठ में पंचायत का ऐलान किया था। चौधरी ने इस मामले में स्थानीय पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठाते हुए कहा कि जब वीडियो में साफ नजर आ रहा है कि मारपीट किसने की, इसके बाद भी अज्ञात में मुकदमा दर्ज करना, साफ बता रहा है कि तहरीर में दबाव बनाया गया है। प्रशासन और भाजपा की शायद यह सोच है कि पार्षद, जो अनुसूचित जाति से आते हैं, को दबा लेंगे। इसलिए अज्ञात में रिपोर्ट दर्ज की गई है। लेकिन मैं दलित वर्ग से कहता हूँ कि वह आर्थिक रूप से भले ही कमजोर हों, लेकिन सामाजिक रूप से उनकी सहभागिता बहुत ज्यादा है। वह अकेले नहीं है, उनके साथ सर्वसमाज और बुद्धिजीवी वर्ग के लोग हैं।'' 

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