नाबालिग से दुष्कर्म के मामले में हाईकोर्ट की अहम टिप्पणी, कहा- झूठी कहानी नहीं कहतीं महिलाएं

Edited By Ajay kumar,Updated: 02 Jun, 2023 12:34 PM

important comment of the high court in the case of rape of a minor

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नाबालिग के साथ दुष्कर्म के आरोपी को जमानत देने से इनकार करते हुए कहा कि किसी महिला के लिए यौन उत्पीड़न की शिकार होने की झूठी कहानी प्रस्तुत करना असामान्य होगा। हमारे देश में यौन उत्पीड़न की शिकार महिला किसी पर झूठा आरोप लगाने के...

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नाबालिग के साथ दुष्कर्म के आरोपी को जमानत देने से इनकार करते हुए कहा कि किसी महिला के लिए यौन उत्पीड़न की शिकार होने की झूठी कहानी प्रस्तुत करना असामान्य होगा। हमारे देश में यौन उत्पीड़न की शिकार महिला किसी पर झूठा आरोप लगाने के बजाय उसे चुपचाप सहती रहती है। जब तक वह वास्तव में यौन अपराध का शिकार नहीं होती, तब तक वह असली अपराधी के अलावा किसी और को दोष नहीं देगी। उक्त टिप्पणी न्यायमूर्ति संजय कुमार सिंह की एकल पीठ ने आईपीसी की विभिन्न धाराओं तथा पॉक्सो एक्ट की धारा 3/4 के तहत दर्ज मामले की सुनवाई के दौरान दिया।

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आरोपी ने नाबालिग लड़की से जबरदस्ती बनाया शारीरिक संबंध
प्राथमिकी के अनुसार आरोपी ने 22 अगस्त 2022 को एक नाबालिग लड़की से जबरदस्ती शारीरिक संबंध बनाए और किसी को कुछ बताने पर गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दी। 31 अगस्त 2022 को पुलिस अधीक्षक (जन शिकायत प्रकोष्ठ), संभल के हस्तक्षेप पर थाना राजपुरा (संभल) में आरोपी आशाराम के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई और उसे गिरफ्तार किया गया।

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आरोपी ने हाईकोर्ट में डाली जमानत याचिका
आरोपी ने इस आधार पर हाईकोर्ट में जमानत याचिका डाली कि पीड़िता ने सीआरपीसी की धारा 164 के तहत कहा है कि उसके साथ दुव्यवहार किया गया है। दुष्कर्म के कोई विशेष आरोप नहीं लगाए। इसके साथ ही पीड़िता की मेडिकल रिपोर्ट से किसी प्रकार के यौन शोषण की पुष्टि नहीं होती है। मामले की परिस्थितियों को देखते हुए अदालत ने सीआरपीसी की धारा 161 तथा 164 के तहत पीड़िता के बयान पर ध्यान दिया और सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए यह माना कि महिला के अंगों में पुरुष अंगों का मामूली प्रवेश भी दुष्कर्म के बराबर है। आरोपी को जमानत देने से इनकार करते हुए कोर्ट ने कहा कि महिला के लिए किसी निर्दोष व्यक्ति को फंसाने के लिए यौन उत्पीड़न की शिकार होने की बात कहना असामान्य होगा। भारतीय परिवेश में यौन उत्पीड़न की शिकार महिला ऐसे में चुप रहना पसंद करती है। दुष्कर्म पीड़िता का कोई भी बयान उसके खुद के लिए बेहद अपमानजनक अनुभव होता है।

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