कानपुर देहात: पालतू बिल्ली की वजह से गई पिता-पुत्र की जान, लोगों में दहशत का माहौल

Edited By Harman Kaur,Updated: 01 Dec, 2023 01:03 PM

father and son lost their lives due to pet cat

घरों में कुत्ते और बिल्लियां पालना आज के दौर में फैशन सा बन गया है लेकिन जब वही कुत्ते और बिल्ली जान के दुश्मन बन जाए तो मंजर क्या होगा। ठीक ऐसा ही मामला कानपुर देहात के अकबरपुर कस्बे में देखने को मिला.....

कानपुर देहात (फरदीन खान): घरों में कुत्ते और बिल्लियां पालना आज के दौर में फैशन सा बन गया है लेकिन जब वही कुत्ते और बिल्ली जान के दुश्मन बन जाए तो मंजर क्या होगा। ठीक ऐसा ही मामला कानपुर देहात के अकबरपुर कस्बे में देखने को मिला। जहां के रहने वाले एक परिवार में एक  सप्ताह के भीतर पिता-पुत्र की मौत से हड़कंप मच गया। बताया जा रहा है कि दोनों मौतें पालतू बिल्ली में फैले रेबीज के कारण हुई हैं।

बता दें कि मामला कानपुर देहात के कस्बा अकबरपुर का है। जहां के रहने वाले एक व्यक्ति ने अपने घर में एक बिल्ली को पाल रखा था। घर के सभी सदस्य बिल्ली के साथ खेलते दुलार करते थे। अचानक एक दिन बिल्ली गली में घूम रहे आवारा पागल कुत्ते की चपेट में आ गई। जिसके चलते बिल्ली में रेबीज के सिम्टम्स पनपने लगे। इसी के चलते एक दिन अचानक खेलते खेलते बिल्ली के दांत और पंजे घर के ही एक युवक को लग गए। धीरे-धीरे उसकी हालत बिगड़ने लगी। इतना ही नहीं बिल्ली के लक्षण युवक में दिखाई देने लगे और एक दिन अचानक उसकी मौत हो गई। ऐसा ही फिर मृतक युवक के पिता के साथ हुआ। यानी एक सप्ताह के भीतर पिता-पुत्र की मौत बिल्ली के अंदर पनप रहे रेबीज के चलते हो गई। अचानक पिता पुत्र की मौत की यह घटना क्षेत्र में फैलने से लोगों में दहशत का माहौल बन गया है। फिलहाल परिवार के अन्य सदस्यों को परीक्षण के लिए कानपुर भिजवाया गया। ताकि परिवार के अन्य सदस्य सुरक्षित रहे। वहीं, क्षेत्र के लोगों को भी यह डर सता रहा है कि कहीं बल्ली ने उन्हें पंजे या दांत तो नहीं मार दिए।

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चिकित्सक की अगर मने तो  घर के जानवरों को एंटी रेबीज के इंजेक्शन लगवाए। अगर कभी आवारा जानवर परिवार के सदस्यों पर हमला करता है तो उसके लिए सबसे पहले घाव को स्पीड से साफ करें और चिकित्सक की सलाह के बाद उपचार जरूर करवाए । क्योंकि कई बार रेबीज के लक्षण वर्षों के बाद भी नजर आ सकते हैं और सावधानी न करने पर व्यक्त की मौत हो जाती है। ऐसे में उपचार और जागरूकता ही बचाव है।

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