Edited By Pooja Gill,Updated: 17 Mar, 2023 11:40 AM

इलाहाबाद उच्च न्यायालय (Allahabad High Court) की लखनऊ पीठ ने फर्जी अंकपत्र मामले में अयोध्या (Ayodhya) की एक अदालत के आदेश के खिलाफ भारतीय जनता पार्टी (BJP) के पूर्व विधायक इंद्र प्रताप तिवारी (Indra Pratap Tiwari) की अपील खारिज कर...
लखनऊः इलाहाबाद उच्च न्यायालय (Allahabad High Court) की लखनऊ पीठ ने फर्जी अंकपत्र मामले में अयोध्या (Ayodhya) की एक अदालत के आदेश के खिलाफ भारतीय जनता पार्टी (BJP) के पूर्व विधायक इंद्र प्रताप तिवारी (Indra Pratap Tiwari) की अपील खारिज कर दी है। पीठ ने कहा कि अयोध्या सत्र न्यायालय द्वारा दी गई सजा पूरी करने के लिए तिवारी को तत्काल हिरासत में लिया जाना चाहिए।
यह भी पढ़ेंः CM योगी का मुरादाबाद और वाराणसी दौरा आज, तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह में होंगे शामिल
मिली जानकारी के मुताबिक, न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह की पीठ ने तिवारी और दो अन्य लोगों द्वारा दायर आपराधिक अपीलों को बीते गुरुवार को खारिज करते हुए यह फैसला सुनाया। उसने अपने फैसले में इस बात का संज्ञान लिया कि तिवारी का 35 मामलों का आपराधिक इतिहास रहा है। इंद्र प्रताप तिवारी के अलावा कृपा निधि तिवारी और फूलचंद यादव ने भी निचली अदालत के फैसले को उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। पीठ ने अपने फैसले में कहा, “अभियोजन पक्ष द्वारा पेश सुबूतों से भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 420 (धोखाधड़ी), 468 (जालसाजी) और 471 (जाली दस्तावेज को असली के रूप में इस्तेमाल करना) के तहत अपराध पूरी तरह से बनते और साबित होते हैं। निचली अदालत ने उचित रूप से उपरोक्त अपराधों के लिए याचिकाकर्ताओं को दोषी ठहराया और सजा सुनाई।”

यह भी पढ़ेंः Lok Sabha Elections 2024: अखिलेश यादव का कोलकाता दौरा आज, Mamata Banerjee से करेंगे मुलाकात
याचिकाकर्ताओं पर नकली अंकपत्र के आधार पर अयोध्या के साकेत महाविद्यालय में प्रवेश लेने के आरोप में मुकदमा चलाया गया था। तीनों याचिकाकर्ताओं ने अलग-अलग याचिकाओं में अयोध्या की विशेष एमपी/एमएलए अदालत के 18 अक्टूबर 2021 के उस फैसले को चुनौती दी थी, जिसमें तिवारी और अन्य को पांच साल की सजा सुनाई गई थी और उन पर जुर्माना भी लगाया गया था। तिवारी उस वक्त अयोध्या की गोसाईगंज सीट से भाजपा विधायक थे। सजा मिलने के बाद उनकी विधानसभा सदस्यता निरस्त कर दी गई थी।