Edited By Pooja Gill,Updated: 12 Nov, 2024 03:42 PM
मुरादाबाद: उत्तर प्रदेश में गुलाबी ठंड ने दस्तक दे दी है। इसके साथ-साथ प्रदूषित वातावरण लोगों की सेहत पर काफी बुरा असर डाल रहा है। हवा जहरीली होती हो रही है। यह बदलता हुआ मौसम अपने साथ बीमारियां लेकर आया है। लोगों को निमोनिया व एलर्जी की समस्या...
मुरादाबाद: उत्तर प्रदेश में गुलाबी ठंड ने दस्तक दे दी है। इसके साथ-साथ प्रदूषित वातावरण लोगों की सेहत पर काफी बुरा असर डाल रहा है। हवा जहरीली होती हो रही है। यह बदलता हुआ मौसम अपने साथ बीमारियां लेकर आया है। लोगों को निमोनिया व एलर्जी की समस्या हो रही है। सबसे ज्यादा परेशानी बच्चों को हो रही है। इन दोनों ही कारणों से हर सप्ताह दो व्यस्क मरीज व 10 बच्चे जिला अस्पताल में भर्ती हो रहे हैं। निजी अस्पतालों में भी 100 में 80 बच्चे आ रहे है, जो निमोनिया व एलर्जी की समस्या से पीड़ित है।
एलर्जी से पीड़ित बच्चों को दी जा रही इनहेलर थेरेपी
बता दें कि बदलते मौसम के साथ बच्चों को निमोनिया व एलर्जी हो रही है। एलर्जी के मरीजों के चेस्ट एक्स-रे क्लियर आ रहे हैं। इससे माता-पिता को लगता है कि बच्चे को कोई समस्या नहीं है। जबकि डॉक्टरों का कहना है कि निमोनिया व एलर्जी में यही अंतर है। निमोनिया वाले बच्चों के चेस्ट एक्स-रे में धब्बे अलग ही दिखाई देते हैं। जबकि एलर्जी में ऐसा में नहीं होता, क्योंकि यह समस्या सांस की नली से संबंधित है। जिला अस्पताल में निमोनिया से पीड़ित बच्चों को इंजेक्शन व एलर्जी से पीड़ित बच्चों को इनहेलर थेरेपी दी जा रही है। डॉक्टरों का कहना है कि खांसी व ठंड लगकर बुखार आना, सांस लेने में तकलीफ, सीने में दर्द, थकान और कमजोरी, तेजी से सांस लेना आदि निमोनिया के लक्षण हैं।
इनहेलर थेरेपी से घबरा रहे बच्चों के माता-पिता
एलर्जी से पीड़ित बच्चों को इनहेलर थेरेपी दी जा रही है। जिससे बच्चों के माता पिता घबरा रहे है। उनका कहना है कि इनहेलर बुजुर्गों व सांस के गंभीर मरीजों को दिया जा रहा है, जबकि डॉक्टरों का कहना है कि एलर्जी के इन्फेक्शन के मामले में इनहेलर से अच्छी कोई दवा नहीं है। वहीं, डॉक्टरों का कहना है कि इस बदलते मौसम में बीमारियों से बचें। बच्चों को संक्रमण से बचाएं। डॉक्टर की सलाह पर टीके लगवाए खांसी व ठंड लगकर बुखार आना, सांस लेने में तकलीफ, सीने में दर्द, थकान आदि लक्षणों पर डॉक्टर को दिखाएं और सलाह पर टीके लगवाएं। साफ सफाई करते समय बच्चों को अलग कमरे में बैठाएं, बाहर की हवा से जितना बचाएंगे, उतना बेहतर।