इस बालक काे सम्मानित कर चुके हैं सीएम याेगी, 11 वर्ष की आयु में यजुर्वेद किया था कंठस्थ

Edited By Umakant yadav,Updated: 27 Jun, 2020 06:29 PM

cm yaegi has honored this child yajurveda had memorized at the age of 11

उत्तर प्रदेश का जनपद गाजीपुर हमेशा से ही ऋषिओं मुनियों की तपस्वली के रूप में जाना जाता है। यहां आज भी मेधावान और प्रतिभावान की कोई कमी नहीं है। ज्ञानियों और वीरों की इस धरती पर 11 वर्ष की छोटी आयु में ही...

गाजीपुर: उत्तर प्रदेश का जनपद गाजीपुर हमेशा से ही ऋषिओं मुनियों की तपस्वली के रूप में जाना जाता है। यहां आज भी मेधावान और प्रतिभावान की कोई कमी नहीं है। ज्ञानियों और वीरों की इस धरती पर 11 वर्ष की छोटी आयु में ही एक बालक ने संस्कृत भाषा और वेद ज्ञान में महारत हासिल की है। उनकी इस मेधा, प्रतिभा से प्रभावित यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने उनसे भेंट कर अंगवस्त्रम द्वारा सम्मानित भी किया है।

11 वर्ष की आयु में ही यजुर्वेद पूरी तरह कंठस्थ
गाजीपुर के जखनियां स्थित सिद्धपीठ हथियाराम मठ के गुरुकुल में शिक्षा ले रहे करंडा ब्लाक के ब्राह्मणपुरा निवासी 11 वर्षीय आशुतोष दुबे सबसे होनहार शिष्य हैं। आशुतोष दुबे कम आयु में ही संस्कृत विषय मे प्रवीणता प्राप्त कर ली है। उन्हें 11 वर्ष की आयु में ही यजुर्वेद पूरी तरह कंठस्थ है। इस अल्प आयु में बहुतों को शुद्ध हिंदी का भी ज्ञान नहीं होता है, लेकिन आशुतोष ना सिर्फ फर्राटे से संस्कृत बोलते हैं बल्कि यजुर्वेद के ज्ञाता भी हैं।

वेदमंत्र से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी प्रभावित
बता दें कि इनके वेदमंत्र से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी प्रभावित हुए हैं। सीएम ने 18 जून 2019 को अपने आवास पर अंगवस्त्र देकर सम्मानित कर ज्ञान की मुक्तकंठ से सराहना की थी। आशुतोष दुबे माता-पिता व मामा का हथियाराम मठ से काफी लगाव है। इनके बड़े पिता परमानंद द्विवेदी एलएलबी के साथ ही कर्मकांड के भी अच्छे जानकार हैं। उनकी संगत में रहकर आशुतोष को भी संस्कृति से लगाव सा हो गया। इसे देखते हुए आशुतोष के मामा चंद्रमणी पांडेय 2018 में इनको गुरुकुल भेज दिए। तब से आशुतोष पूरी तन्मयता से शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं।

गुरुकुल में कुल 20 बच्चे, जिसमें आशुतोष सबसे कुशल
एक वर्ष में ही आशुतोष को संस्कृत व वेदमंत्र की अच्छी जानकारी हो गई। मठ के महामंडलेश्वर भवानी नंदन यति जी महाराज आशुतोष के गुरु हैं। संस्कृत और व्याकरण की शिक्षा इनको गुरुकुल के गुरु सोमनाथ पोखरैल देते हैं। पिता ब्रह्मानंद द्विवेदी एक निजी स्कूल में कर्मी हैं। इनके गुरुकुल में कुल 20 बच्चे में जिसमें आशुतोष सबसे कुशल हैं। आशुतोष ने बताया कि वह इसी तरह अध्ययन करते हुए आचार्य की उपाधि प्राप्त करना चाहते हैं।

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