Edited By Imran,Updated: 01 Aug, 2024 07:21 PM
यूपी सरकार के द्वारा बनाया नजूल संपत्ति विधेयक फंसता हुआ दिखाई दे रहा है। बता दें कि कल यानि 31 जुलाई को इस बिल को विधानसभा में पास कर दिया गया था, लेकिन अब विधान परिषद में खुद बीजेपी अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने एक प्रस्ताव पेश किया और इस विधायक को...
लखनऊ: यूपी सरकार के द्वारा बनाया नजूल संपत्ति विधेयक फंसता हुआ दिखाई दे रहा है। बता दें कि कल यानि 31 जुलाई को इस बिल को विधानसभा में पास कर दिया गया था, लेकिन अब विधान परिषद में खुद बीजेपी अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने एक प्रस्ताव पेश किया और इस विधायक को प्रवर समिति को सौंपने के लिए कहा है। इसके बाद सभी की सहमति से इसे प्रवर समिति को सौंप दिया गया।
दरअसल, इस विधेयक को लेकर भूपेंद्र चौधरी ने कहा है कि 'अभी इस मुद्दे पद सहमति नहीं है, इसलिए इसे प्रवर समिति में भेजा जाये,विधान परिषद सभापति ने आग्रह स्वीकार किया और इसे प्रवर समिति में भेज दिया। कल उत्तरप्रदेश विधानसभा में चर्चा दौरान बीजेपी विधायक सिद्धार्थनाथ सिंह व हर्षवर्धन वाजपेयी व रघुराज प्रताप सिंह "राजा भइया" विधेयक के विपक्ष में थे।
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश विधानसभा सत्र के तीसरे दिन आज बीजेपी के दो विधायक सिद्धार्थ नाथ सिंह (पूर्व मंत्री)और हर्षवर्धन बाजपेई ने सदन में पार्टी और सरकार की लाइन से हटकर नजूल भूमि एक्ट का विरोध किया। वित्त मंत्री व संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने पार्टी विधायकों को रोकने का प्रयास भी किया लेकिन फिर भी उनका विरोध जारी रहा और परिणाम यह रहा कि समाजवादी पार्टी सहित विपक्ष के तमाम विधायक वेल में आ गए और धरना प्रदर्शन करने लगे।
हालांकि सदन में सरकार का यह विधेयक पास हुआ लेकिन सिद्धार्थ नाथ सिंह और हर्षवर्धन बाजपेई की वजह से विपक्ष ने वेल में आकर जो धरना प्रदर्शन शुरू किया उसकी वजह से आगे विधानसभा नहीं चल पाई। विधानसभा अध्यक्ष ने आगे चर्चा जारी करने की कोशिश की लेकिन विपक्षी वेल से नहीं उठे और काला कानून वापस लो के नारे लगाते रहे जिसके चलते विधानसभा अध्यक्ष नें कल 11 बजे तक के लिए विधानसभा स्थगित कर दी।
इस कानून पर गरजे कुंडा विधायक राजा भैया
बता दें कि विधानसभा सदन में नजूल भूमि कानून पर चर्चा करते हुए कुण्डा विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया ने कहा कि कौन सा विकास हो रहा है, लाखों लोगों को सड़क पर लाने की कोशिश है। किन अधिकारियों ने फीडिंग की, समझ से परे है। अगर अंग्रेज फ्री होल्ड कर सकते हैं तो ये जनहितकारी सरकार क्यों नहीं कर सकती। फ्री होल्ड करने की किस्त लेने के बाद रोक दिया गया। ये गलत फैसला है। इलाहाबाद हाईकोर्ट भी नजूल की भूमि पर बना है, क्या खाली करा लेंगे। इस प्रस्ताव को पहले प्रवर समिति को भेजा जाए। इस व्यवस्था से अव्यवस्था पैदा होगी।