राष्ट्र के विकास में विश्वविद्यालयों का महत्वपूर्ण योगदान होता है: आनंदीबेन

Edited By Tamanna Bhardwaj,Updated: 19 Sep, 2019 06:08 PM

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उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनन्दीबेन पटेल ने कहा कि राष्ट्र के विकास में विश्वविद्यालयों का महत्वपूर्ण योगदान होता है। कुलाधिपति एवं राज्यपाल पटेल ने गुरुवार को यहां डॉ. राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के चौबीसवें दीक्षान्त समा...

अयोध्याः उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनन्दीबेन पटेल ने कहा कि राष्ट्र के विकास में विश्वविद्यालयों का महत्वपूर्ण योगदान होता है। कुलाधिपति एवं राज्यपाल पटेल ने गुरुवार को यहां डॉ. राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के चौबीसवें दीक्षान्त समारोह को सम्बोधित करते हुए कहा कि राष्ट्र के विकास में विश्वविद्यालयों का महत्वपूर्ण योगदान होता है। यहां उच्च कोटि की शिक्षा दी जाती है जिससे विद्यार्थियों को ज्ञानशील बनाने के साथ-साथ उन्हें एक आदर्श नागरिक के रूप में विकसित भी किया जाता है।

उन्होंने कहा कि किसी भी देश के विकास में उसकी संस्कृति का बहुत योगदान होता है। भारतीय संस्कृति विश्व की सर्वथा प्राचीन एवं समृद्धि संस्कृति है। गंगा जमुना और नालन्दा जैसी नदियों की स्तुति यहां के लोग प्राचीन काल से करते आ रहे हैं।

पटेल ने कहा कि आज के समय में शिक्षकों की भूमिका और भी अधिक महत्वपूर्ण है। शिक्षकों और छात्रों में स्वतंत्रतापूर्वक विचार-विनिमय होना चाहिए। उन्होंने विश्वविद्यालय के कुलपति के दो वर्षों के काल खण्ड में विश्वविद्यालय की कार्यप्रणाली पर खुशी जाहिर की। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय परिसर में पीपल और पाकड़ का पेड़ कम होना यह आश्चर्यजनक है क्योंकि इन्हीं पेड़ों से हमें ज्यादा आक्सीजन मिलता है।

उन्होंने कहा कि जब भी वृक्षारोपण किया जाय तो पीपल व पाकड़ का पेड़ ज्यादा से ज्यादा विश्वविद्यालय के परिसर में लगाया जाय। उन्होंने कहा कि आज विश्वविद्यालय को सशक्त समाज बनाने की आवश्यकता है। दहेज प्रथा पर प्रहार करते हुए कहा कि बेटियां हिम्मत बांधे। यदि कोई दहेज की मांग करता है तो खुलकर उन्हें कहें कि गरीब परिवार से विवाह करूंगी तुम्हारे साथ नहीं।

उन्होंने कहा कि यदि नारी शक्ति चाहे तो दहेज प्रथा समाप्त हो सकती है। दीक्षान्त समारोह को सम्बोधित करते हुए कुलाधिपति ने कहा कि विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों का दायित्व है कि उसमें पढऩे वाली छात्राओं को महिला अस्पताल ले जायं और वहां जन्म लेने वाले नवजात शिशुओं के बारे में उन्हें जानकारी उपलब्ध करायें। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय में सात एवं आठ प्रतिशत हीमोग्लोबीन वाली छात्रायें पढ़ती हैं उनके द्वारा जन्म दिये गये बच्चे बीमार और कुपोषित ही पैदा होंगे इसलिये विश्वविद्यालयों का धर्म है कि वे कम से कम वहां पढऩे वाली छात्राओं का ध्यान दें।
 

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