Edited By Tamanna Bhardwaj,Updated: 11 Nov, 2019 06:47 PM
उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन ने सोमवार को यहां छात्रों से कहा कि जीवन में शिक्षा के साथ नैतिकता, ईमानदारी, करुणा और दया जैसे गुणों को भी आत्मसात करना जरूरी है जिससे आप सर्वगुण संपन्न जगत शक्ति बनकर प्रदेश और देश के लिए महत्वपूर्ण योग...
प्रयागराजः उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन ने सोमवार को यहां छात्रों से कहा कि जीवन में शिक्षा के साथ नैतिकता, ईमानदारी, करुणा और दया जैसे गुणों को भी आत्मसात करना जरूरी है जिससे आप सर्वगुण संपन्न जगत शक्ति बनकर प्रदेश और देश के लिए महत्वपूर्ण योगदान कर सकेंगे। राज्यपाल यहां प्रोफेसर राजेंद्र सिंह उर्फ रज्जू भैया राज्य विश्वविद्यालय के दूसरे दीक्षांत समारोह में छात्रों को सम्बोधित कर रही थीं।
उन्होंने कहा कि जीवन में लक्ष्य स्पष्ट होना चाहिए और उस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए निरंतर प्रयास करते रहना चाहिए। दीक्षांत समारोह विद्यार्थी जीवन का अहम् पड़ाव होता है। कठिन परिश्रम, सहनशीलता, आत्मविश्वास और सकारात्मक मनोवृत्ति से कुछ भी प्राप्त किया जा सकता है। राज्यपाल ने कहा कि जीवन में उतार-चढ़ाव तो आते रहते हैं लेकिन हमें चुनौतियों और बाधाओं के सामने बिना रुके आगे बढ़ते रहना चाहिए। सफलता तभी मिलती है जब कार्य को दक्षतापूर्वक पूरा करने की क्षमता हो और वह क्षमता प्रत्येक विद्यार्थी को हासिल करनी होगी।
उन्होंने कहा कि किसी भी विश्वविद्यालय की वास्तविक क्षमता की पहचान वहां के गुणवत्तापूर्ण पठन-पाठन और उच्चस्तरीय शोध के बलबूते होती है। इसके लिए शिक्षकों और विद्यार्थियों-सभी में पूर्ण समर्पण, अनुशासन और दृढ़ संकल्प आवश्यक है। मुख्य अतिथि एवं कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल ने कहा कि हमारा देश नए भारत के निर्माण की दिशा में बढ़ रहा है, इसलिए ऐसे में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा नए भारत के निर्माण में अत्यंत आवश्यक है। इसके अलावा अपने देश में उच्च शिक्षा के नए प्रतिमान को लाना होगा और इसके दायरे को बढ़ाना होगा।
उन्होंने कहा कि भारत एक ऐसा देश है जहां सफलता और विफलता की निगरानी समान रूप से की जाती है और इसी से हम सफलता को हासिल करते हैं। आज रज्जू भैया विश्वविद्यालय में संपन्न हुए दीक्षांत समारोह में जिस तरह से छात्राओं का प्रतिशत अधिक है उससे यह स्पष्ट है कि अब हम नारी शक्ति की ओर बढ़ रहे हैं। समारेह में कुल 171 छात्र-छात्राओं को डिग्रियां प्रदान की गयीं। अतुल सिंह को कुलाधिपति स्वर्ण पदक और पिया सिंह चंदेल को कुलपति स्वर्ण पदक से सम्मानित किया गया। यह पदक पहली बार किसी को दिया गया है।