अमेठी: महिला की मौत के मामले में संजय गांधी अस्पताल पर गिरी गाज, CMO ने लाइसेंस किए निलंबित

Edited By Ramkesh,Updated: 19 Sep, 2023 05:40 PM

amethi sanjay gandhi hospital fined in case of woman s death cmo

Amethi उत्तर प्रदेश के अमेठी जिले के मुंशीगंज थाना क्षेत्र में इलाज में कथित लापरवाही के चलते एक महिला की मौत के मामले में प्रशासन ने संजय गांधी अस्पताल के लाइसेंस को निलंबित करते हुए ओपीडी, आपातकालीन समेत सारी सेवाओं पर रोक लगा दी है। एक अधिकारी...

अमेठी: उत्तर प्रदेश के अमेठी जिले के मुंशीगंज थाना क्षेत्र में इलाज में कथित लापरवाही के चलते एक महिला की मौत के मामले में प्रशासन ने संजय गांधी अस्पताल के लाइसेंस को निलंबित करते हुए ओपीडी, आपातकालीन समेत सारी सेवाओं पर रोक लगा दी है। एक अधिकारी ने मंगलवार को यह जानकारी दी। अमेठी के मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ अंशुमान सिंह ने कार्रवाई की पुष्टि करते हुए बताया कि अस्पताल के लाइसेंस को जांच समिति की रिपोर्ट के आधार पर निलंबित किया गया है और उन्हें इस बात का मौका दिया गया है कि वार्ड में जो मरीज भर्ती है, उनका समुचित इलाज कर उनकी छुट्टी कर दी जाए। 

संजय गांधी अस्पताल का संचालन संजय गांधी मेमोरियल ट्रस्ट, दिल्ली द्वारा किया जाता है। कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी इस ट्रस्ट की अध्यक्ष हैं, जबकि पार्टी नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी इसके सदस्य हैं। स्वास्थ्य विभाग ने अमेठी के एसीएमओ डॉ राम प्रसाद के नेतृत्व में तीन सदस्यीय टीम का गठन किया था जिसकी जांच रिपोर्ट में बताया गया है कि दिव्या नामत महिला के इलाज में लापरवाही बरती गयी है। अधिकारी ने बताया कि इसके बाद प्रशासन ने संजय गांधी अस्पताल के पंजीकरण को निलंबित कर दिया और ओपीडी सहित सभी सेवाओं पर रोक लगा दी। अस्पताल में बड़ी संख्या में पुलिस और पीएसी के जवान तैनात किए गए हैं। संजय गांधी अस्पताल के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) अवधेश शर्मा ने बताया कि अस्पताल का लाइसेंस निलंबित कर दिया गया है जिस कारण ओपीडी, आपातकालीन सेवा सहित अस्पताल की सारी सेवाएं बंद हो गयी है। शर्मा ने आरोप लगाया कि उनके पक्ष को नहीं सुना गया और राजनीतिक द्वेष की भावना से अस्पताल के खिलाफ कार्रवाई की गई है।

 उन्होंने कहा कि प्रशासन की इस एक पक्षीय कार्रवाई के खिलाफ वह अदालत का रुख करेंगे। इसके पहले रविवार को स्‍वास्‍थ्‍य एवं चिकित्‍सा शिक्षा महकमा संभाल रहे उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने मामले का संज्ञान लिया था। उन्होंने सोशल साइट 'एक्‍स' पर कहा था, ''सीएमओ (मुख्‍य चिकित्‍सा अधिकारी) अमेठी ने मेरे निर्देश पर संजय गांधी अस्पताल, मुंशीगंज में डॉक्टरों की लापरवाही से महिला की मौत के मामले की तीन सदस्यीय समिति द्वारा तत्काल प्रारंभिक जांच कराई।'' पाठक ने कहा था, ''प्रारंभिक जांच में पाई गई कमियों के आधार पर अस्पताल प्रशासन को क्लीनिकल एक्ट (अधिनियम) के तहत स्पष्टीकरण देने के लिए नोटिस जारी करने का आदेश दिया गया है। स्पष्टीकरण प्राप्त होने के बाद गुण-दोष के आधार पर अस्पताल प्रशासन के खिलाफ कठोर कार्रवाई करते हुए उक्त अस्पताल का पंजीकरण निरस्त कर उसे सील किए जाने की कार्यवाही भी की जाएगी।'' उन्होंने कहा था कि अस्पताल प्रशासन को नये मरीजों को भर्ती न करने के सख्त निर्देश दिए गए हैं।

पुलिस अधिकारी ने रविवार को बताया था कि इलाज में कथित लापरवाही के चलते एक महिला की मौत के मामले में संजय गांधी अस्पताल के मुख्‍य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) सहित चार लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है। मुंशीगंज थाने के प्रभारी निरीक्षक (एसएचओ) अखंड देव मिश्रा के मुताबिक, परिजनों की तहरीर पर संजय गांधी अस्पताल के सीईओ अवधेश शर्मा, जनरल सर्जन डॉ. मोहम्‍मद रजा, एनेस्थीसिया विशेषज्ञ डॉ. सिद्दीकी और फिजिशियन डॉ. शुभम द्विवेदी के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है। मिश्रा के अनुसार, शनिवार शाम अमेठी में 22 वर्षीय महिला का शव अस्पताल के सामने रखकर उसके परिजनों ने धरना दिया था। परिजनों का आरोप था कि डॉक्टरों की लापरवाही की वजह से महिला की मौत हुई। मिश्रा ने बताया कि प्रशासनिक हस्तक्षेप और प्राथमिकी दर्ज होने के बाद परिजनों का धरना रविवार तड़के चार बजे समाप्त हुआ। 

ग्रामीणों के मुताबिक, मुंशीगंज कोतवाली थाना क्षेत्र के राम शाहपुर गांव की रहने वाली दिव्या को पेट दर्द की शिकायत थी, जिसके चलते उसे इलाज के लिए संजय गांधी अस्पताल लेकर गए थे। ग्रामीणों ने बताया कि अस्पताल में डॉक्टरों ने दिव्या की पित्त की थैली में पथरी होने की बात कही और 14 सितंबर को उसे एनेस्थीसिया (बेहोशी की दवा) देकर ऑपरेशन थियेटर ले गए। ग्रामीणों के अनुसार, ऑपरेशन से पहले ही दिव्या कोमा में चली गई और जब वह 30 घंटे तक होश में नहीं आई, तब उसे लखनऊ रेफर कर दिया गया। दिव्या के पति अनुज शुक्ला ने दावा किया कि उसकी पत्नी को अधिक मात्रा में एनेस्थीसिया (बेहोशी की दवा) दिया गया, जिससे उसकी हालत बिगड़ी और अंततः मौत हो गई। 
 

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