Edited By Anil Kapoor,Updated: 08 Feb, 2025 02:14 PM
![a pipe inserted into the windpipe without any pain](https://img.punjabkesari.in/multimedia/914/0/0X0/0/static.punjabkesari.in/2025_2image_14_13_132539841gorakhpuraiims-ll.jpg)
Gorakhpur News: उत्तर प्रदेश में गोरखपुर के एएमएस (एम्स) अस्पताल के एनेस्थीसिया विभाग के डॉक्टरों ने एक नया तरीका अपनाया है, जिससे ऑपरेशन के दौरान रोगी को न तो कोई दर्द होता है और न ही बेचैनी। इस तकनीक का इस्तेमाल करते हुए, नाक के रास्ते बिना मुंह...
Gorakhpur News: उत्तर प्रदेश में गोरखपुर के एएमएस (एम्स) अस्पताल के एनेस्थीसिया विभाग के डॉक्टरों ने एक नया तरीका अपनाया है, जिससे ऑपरेशन के दौरान रोगी को न तो कोई दर्द होता है और न ही बेचैनी। इस तकनीक का इस्तेमाल करते हुए, नाक के रास्ते बिना मुंह खोले सांस की नली में ट्यूब डाली गई। यह तकनीक विशेष रूप से उन मरीजों के लिए लाभकारी है, जिनका मुंह पूरी तरह से नहीं खुल पाता है।
अल्ट्रासाउंड गाइडेड तकनीक से किया इलाज
प्रो. संतोष शर्मा के नेतृत्व में एएमएस गोरखपुर के डॉक्टरों ने अल्ट्रासाउंड गाइडेड सुपीरियर लेरिंजियल ब्लॉक और फाइबर आप्टिक ब्रोंकोस्कोपी तकनीक का उपयोग किया। इस प्रक्रिया में गले की नसों को सुन्न करने के लिए इंजेक्शन लगाया गया, फिर फाइबर आप्टिक ब्रोंकोस्कोप की मदद से नाक के रास्ते पाइप डाली गई। इस तकनीक से रोगी को न तो खांसी होती है, न ही बेचैनी और न ही कोई दर्द महसूस होता है।
मरीज की स्थिति और उपचार
मिली जानकारी के मुताबिक, यह मामला गोरखपुर के सोनबरसा निवासी एक युवक का था, जो एक सड़क हादसे में बुरी तरह घायल हो गया था। युवक के चेहरे, सिर के सामने के हिस्से और दाईं आंख के पास की हड्डियां टूट गई थीं। इसके अलावा, गुटखा खाने के कारण उसके मुंह में ओरल सबम्यूकस फाइब्रोसिस नामक बीमारी हो गई थी, जिससे उसका मुंह पूरी तरह नहीं खुल पा रहा था। इस गंभीर स्थिति में युवक को तत्काल ऑपरेशन की आवश्यकता थी, लेकिन मुंह न खुलने के कारण सामान्य तरीके से ट्यूब डालना मुश्किल था। ऐसे में डॉक्टरों ने नई विधि अपनाई, जिससे बिना बेहोश किए उसे राहत मिली।
नई तकनीक से हुआ सफल ऑपरेशन
इस नई विधि से बिना बेहोश किए युवक की सांस की नली में ट्यूब डाली गई, जिससे ऑपरेशन के दौरान उसे कोई परेशानी नहीं हुई। इस जटिल ऑपरेशन को सफलतापूर्वक पूरा किया गया। इस प्रक्रिया में दंत रोग विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. शैलेश कुमार और उनकी टीम ने सर्जरी की, जबकि एनेस्थीसिया विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. विजेता वाजपेयी, जूनियर रेजिडेंट डॉ. आशुतोष और नर्सिंग ऑफिसर पंकज, दिव्या और ध्रुवी का महत्वपूर्ण योगदान रहा।
टीम की हो रही सराहना
एएमएस के कार्यकारी निदेशक और मुख्य कार्यपालक अधिकारी डॉ. विभा दत्ता, एनेस्थीसिया विभागाध्यक्ष प्रो. विक्रम वर्धन ने टीम के प्रयासों की सराहना की और डॉक्टरों को बधाई दी। इस सफलता से यह साबित होता है कि नई तकनीकों के माध्यम से जटिल सर्जरी को भी आसानी से किया जा सकता है।