कुशीनगर: एक माँ अपने बच्चे की कर रही मौत का इंतजार, गरीबी के कारण मजबूर

Edited By Tamanna Bhardwaj,Updated: 30 Dec, 2021 11:24 AM

a mother is waiting for the death of her child forced due to poverty

माँ की ममता और पिता के परिश्रम की कहानी तो अपने बहुत देखी होगी पर कुशीनगर जिले स्थित रामकोला ब्लाक के परोरहा गांव में एक ऐसा परिवार है जिसमे बेबसी और मजबूरी का आलम ये हैं की माँ-बाप अपने एक साल के बच्चे रोहन की मौत का पल पल इंतजार कर रहे।

कुशीनगर: माँ की ममता और पिता के परिश्रम की कहानी तो अपने बहुत देखी होगी पर कुशीनगर जिले स्थित रामकोला ब्लाक के परोरहा गांव में एक ऐसा परिवार है जिसमे बेबसी और मजबूरी का आलम ये हैं की माँ-बाप अपने एक साल के बच्चे रोहन की मौत का पल पल इंतजार कर रहे। सुनकर भले ही आप इस पर विश्वास ना करें लेकिन आर्थिक तंगी और सरकार की हर सुख सुविधाओं से महरूम इस परिवार के पास अपने मासूम बच्चे का ईलाज के लिए कोई संसाधन नही है। पीड़ित बच्चा पीठ पर उभरे एक ट्यूमर से पीड़ित है।
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रामकोला क्षेत्र के परोरहा गाँव मे दलित परिवार के एक वर्षीय रोहन की मुस्कान उसके पीठ के ट्यूमर की वजह से ज्यादा दिन तक नही रह पाएगी। वैसे तो माँ-बाप अपने बच्चों के लिए हर मुशीबत से लड़ जाते हैं पर गरीबी के कारण आज माँ बाप मजबूर हैं और भगवान पर सब छोड़ अपने बेटे की मौत का इंतजार कर रहे हैं।
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मासूम रोहन के पिता परशुराम ने बताया कि उनका आठ सदस्यों का परिवार हैं और सबसे छोटे आठ वर्षीय बेटे रोहन की पीठ पर पहले गाँठ बना जो अब काफी बड़े ट्यूमर का रुप ले चुका है यह रोज बढ़ता जा रहा है यही कारण हैं कि रोहन बैठ भी नही पाता। मैं उसे जब इलाज के लिए एक अस्पताल ले गया तो डॉक्टर ने एक लाख से ज्यादा का खर्च बताया मैंने बहुत मिन्नते की पर उन्होंने इनकार कर दिया।
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तबसे अपने बच्चे को घर लेकर आ गया और भगवान पर छोड़ दिया जबतक किस्मत में होगा साथ देगा। करू भी तो क्या ? आठ सदस्यी परिवार का इकलौता सहारा हु सरकार की कोई सुविधा नही है। राशन कार्ड तो दूर की बात है रहने को घर और पानी के लिए नल भी नही है, लेकिन हमारी सुनता कौन हैं।
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वहीं, रोहन की माँ सुमन कभी बच्चे को दुलारती और उसके ट्यूमर को देख भावुक हो जाती और कभी गोद मे लेकर खुले आसमान के नीचे चूल्हे पर खाना बनाती ताकि सबका पेट भर सके । अब माँ और बेटे की पीड़ा भी घर के रुटीन कार्य का हिस्सा बनकर रह गयी है। परिवार के पास आर्थिक संसाधन नही होने के कारण पूरा परिवार अपने बच्चे को तिल तिल कर मरता देखने को मजबूर है। एक कमरे के बेहद जर्जर घर मे बिस्तर की जगह जमीन पर पुआल बिछा जिंदगी बिताता परिवार के मुखिया की मेहनत मजदूरी के कारण दो वक्त की रोटी तो मिल जाती हैं पर रोहन के इलाज में लगने वाले पैसे को वे कहां से लाये।
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पीड़ित रोहन की माँ सुमन से जब बात की गई तो वो रोने लगी और फिर खुद को संभालती हुई। अपने बच्चे का पीठ दिखाया और उसकी पीड़ा को बताया। उसने कहा कि उनकी जिंदगी बेहद गरीबी में गुजर रही हैं ऐसे में बेटे के ट्यूमर के लिए लाखों रुपये कहा से लाये। कोई स्वास्थ्य कार्ड भी नही मिला जिससे बच्चे का ईलाज करवा सकें। मैं चाहती हु की ये ठीक हो कर मेरा साथ दे लेकिन गरीब हु क्या करूँ। अब बस उसकी पीड़ा देखकर ईश्वर से उसे जल्द अपने पास बुलाने का प्रार्थना प्रतिदिन करती हूँ ।
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कप्तानगंज क्षेत्र के उप जिलाधिकारी कल्पना जायसवाल ने मामले पर बातचीत में कहा कि आज जैसे ही पीड़ित परिवार की सूचना मिली तत्काल मानवीय दृष्टिकोण से क्षेत्रीय लेखपाल योगेन्द्र गुप्ता को उनके घर भेजा गया। प्रशासन की तरफ से कम्बल आदि दिया गया है। शासन का लाभ क्यों नही मिला, इसके लिए परिवार से जुड़ी पूरी रिपोर्ट तैयार करने के लिए कहा गया है। कल पीड़ित बच्चे का स्थानीय सीएचसी में प्राथमिक चिकित्सा भी दिलाने का प्रयास होगा ।

 

 

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