संतकबीर नगर में 2890 टीबी मरीज हुए स्वस्थ, 432 मरीजों का चल रहा इलाज

Edited By Mamta Yadav,Updated: 23 Mar, 2023 05:54 PM

2890 tb patients become healthy in sant kabir nagar 432 patients treatment

टीबी (TB) की समय से पहचान हो जाए तो इसका सम्पूर्ण इलाज हो जाता है और इसका एक व्यक्ति से दूसरे में संक्रमण भी रुक जाता है। जिले में जनवरी 2022 से लेकर अब तक 2992 मरीज टीबी की दवा खाकर ठीक हो चुके हैं। वर्तमान में 432 मरीजों का टीबी का इलाज चल रहा है...

संतकबीरनगर (मिथिलेश कुमार धुरिया): टीबी (TB) की समय से पहचान हो जाए तो इसका सम्पूर्ण इलाज हो जाता है और इसका एक व्यक्ति से दूसरे में संक्रमण भी रुक जाता है। जिले में जनवरी 2022 से लेकर अब तक 2992 मरीज टीबी की दवा खाकर ठीक हो चुके हैं। वर्तमान में 432 मरीजों का टीबी का इलाज चल रहा है और उन्हें राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम की समस्त सुविधाएं दी जा रही हैं। टीबी उन्मूलन का संदेश देने के लिए विविध जनजागरूकता के कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हैं। इसी कड़ी में जिले में सभी सरकारी अस्पतालों, स्वास्थ्य संस्थानों और स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा 24 मार्च को विश्व क्षय रोग दिवस मनाया जाएगा। यह जानकारी जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ.एस.डी.ओझा ने जिला क्षय रोग केंद्र में पत्रकार वार्ता के दौरान दी।
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विश्व टीबी दिवस की थीम है – ‘हां, हम टीबी को समाप्त कर सकते हैं’
उन्होंने बताया कि विश्व क्षय रोग दिवस पर खलीलाबाद के विधायक अंकुर राज तिवारी के द्वारा दिन में 12 बजे जूनियर हाईस्‍कूल से जनजागरूकता रैली को हरी झंडी दिखा कर रवाना किया जाएगा। इस रैली में स्वास्थ्यकर्मी, स्कूली बच्चे, एनएसएस और स्वयंसेवी संगठनों के लोग प्रतिभाग करेंगे। रैली के जरिये संदेश दिया जाएगा कि अगर किसी के भीतर टीबी का लक्षण दिख रहा है तो उसे जांच और इलाज के लिए प्रोत्साहित करें। इस अवसर पर जिला क्षय रोग अस्‍पताल में गोद लिए गए मरीजों को पोषण किट का वितरण किया जाएगा। इस साल के विश्व टीबी दिवस की थीम है – ‘हां, हम टीबी को समाप्त कर सकते हैं’। सरकारी अस्पतालों में भी टीबी के जांच और इलाज की अच्छी व्यवस्था उपलब्ध है। जनवरी 2022 से अब तक सरकारी अस्पतालों की दवा खाकर 2890 टीबी मरीज पूरी तरह से ठीक हो चुके हैं। टीबी मरीजों को इलाज चलने तक 500 रुपये प्रति माह पोषण के लिए दिये जाते हैं। प्राइवेट चिकित्‍सकों से इलाज कराने वाले मरीजों को भी सारी सुविधाएं दी जाती है।
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एक साल के भीतर 12 डीआर टीबी के मरीज दवा खाकर हुए ठीक 
उन्‍होंने आगे बताया कि टीबी मरीजों को ढूंढने के लिए हाल ही में सक्रिय क्षय रोगी खोजी अभियान (एसीएफ कैम्पेन) चलाया गया था जिसमें 64 नये टीबी रोगी मिले हैं। सभी का इलाज शुरू कर दिया गया है और उनसे खाता विवरण लेकर पोषण की धनराशि भेजने की प्रक्रिया भी तेज कर दी गयी है। अगर समय से टीबी मरीज का इलाज न हो या मरीज बीच में दवा छोड़ दे तो ड्रग रेसिस्टेंट टीबी होने की आशंका बढ़ जाती है। इस टीबी का इलाज कठिन होता है और मरीज को कई प्रकार की दिक्कतों का भी सामना करना पड़ता है। डीआर टीबी का मरीज जिसे भी संक्रमित करता है वह ड्रग रेसिस्टेंट टीबी (डीआर टीबी) का मरीज हो जाता है। डीआर टीबी का इलाज भी संभव है। जिले में एक साल के भीतर 12 डीआर टीबी के मरीज दवा खाकर ठीक हो चुके हैं। इस अवसर पर जिला कार्यक्रम समन्वयक अमित आनन्‍द ने बताया कि जिले में टीबी की जांच के लिए चार ट्रूनाट तथा एक सीबीनाट मशीन है। इस मशीन के जरिए मात्र दो घंटे में ही टीबी से संबंधित सारी जांच हो जाती है। इससे मरीजों को परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ता है। इस अवसर पर पीपीएम समन्वयक कविता पाठक, संगीता यादव, अनिल कुमार, रामबास विश्‍वकर्मा, राकेश, रवि मिश्रा, आशीष व ईश्‍वर चन्‍द्र चौधरी प्रमुख तौर पर मौजूद रहे।
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टीबी के लक्षण:-

  • दो सप्ताह से अधिक की खांसी
  • रात में बुखार या पसीने के साथ बुखार
  • वजन घटना
  • भूख न लगना
  • अत्यधिक कमजोरी महसूस करना


गैर सरकारी व्यक्ति दें सूचना
जिला क्षय रोग अधिकारी ने बताया कि अगर कोई गैर सरकारी व्यक्ति नया टीबी मरीज खोजता है और जांच में टीबी की पुष्टि हो जाती है तो उसे भी 500 रुपये की प्रोत्साहन राशि खाते में देने का प्रावधान है। टीबी मरीजों के सीबीनॉट, मधुमेह और एचआईवी जांच का प्रावधान भी है। टीबी मरीज के निकट सम्पर्की की भी जांच कराई जाती है और टीबी निकलने पर इलाज कराया जाता है। अगर निकट सम्पर्की को टीबी नहीं है तब भी उसे बचाव की दवा दी जाती है।

गोद लेने के लिए आगे आएं
जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. एस.डी.ओझा ने बताया कि टीबी मरीजों को गोद लेकर पोषक सामग्री और मानसिक सम्बल देने वालों को निक्षय मित्र कहा जाता है। जिले में 12 निक्षय मित्र इस समय 760 टीबी मरीजों को गोद लेकर उनकी मदद कर रहे हैं। जब कोई व्यक्ति टीबी मरीज को गोद लेकर उसे लगातार दवा खाने के लिए प्रेरित करता है तो मरीज आसानी से ठीक हो जाता है। मरीज के मन से भय और भ्रांति भी दूर हो जाती है। ज्यादा से ज्यादा लोगों को स्वेच्छा से मरीजों को गोद लेने के लिए आगे आना चाहिए।

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