Edited By Imran,Updated: 05 Aug, 2024 12:21 PM
अयोध्या में हुए गैंग रेप केस के मामले में आरोपियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई तेजी हो रही है। कुछ लोग अपनी राजनीतिक रोटियां भी सेंक रहे हैं लेकिन पीड़िता के प्रसव संबंधी अग्रिम इलाज को लेकर अब तक कोई निर्णय नहीं हो सका है। पीड़िता के पेट में 12 हफ्ते...
Ayodhya Rape Case: अयोध्या में हुए गैंग रेप केस के मामले में आरोपियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई तेजी हो रही है। कुछ लोग अपनी राजनीतिक रोटियां भी सेंक रहे हैं लेकिन पीड़िता के प्रसव संबंधी अग्रिम इलाज को लेकर अब तक कोई निर्णय नहीं हो सका है। पीड़िता के पेट में 12 हफ्ते का भ्रूण पहल रहा है और वह अभी अस्पताल में भर्ती है।
बता दें कि पीड़िता का जोखिमपूर्ण इलाज को देखते हुए केजीएमयू लखनऊ बालिका का इलाज कराना बेहतर माना जा रहा है। इसी को लेकर रविवार को सीएमओ ने महिला अस्पताल में वार्ता भी की। हालांकि, बाल कल्याण समिति व परिजनों की लिखित सहमति के बाद ही इस पर निर्णय लिया जाएगा।
12 हफ्ते का भ्रूण पल रहा
12 साल की दुष्कर्म पीड़िता के गर्भ में 12 हफ्ते का भ्रूण पल रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार नौ माह तक बच्चे को गर्भ में पालकर प्रसव कराने में बालिका को और कठिनाइयों से गुजरना होगा। इसमें उसकी जान को भी खतरा हो सकता है। बालिका का शरीर इस योग्य न होने व भ्रूण 12 सप्ताह का होने से उसके गर्भपात की ही प्रबल संभावना है। लेकिन इसके लिए बाल कल्याण समिति व परिजनों की लिखित सहमति जरूरी है।
मिली जानकारी के अनुसार, 4 अगस्त को CMO की बैठक हुई जिसमें बाल कल्याण समिति की सहायक व्यक्ति कविता मिश्रा भी मौजूद रहीं। उन्होंने बताया कि बालिका का इलाज लखनऊ से कराने पर चर्चा हुई है। सोमवार को इस पर निर्णय लिया जाएगा। इस दौरान डीएम-एसएसपी भी मौजूद रहे। अधीक्षक डॉ. आशाराम ने बताया कि केजीएमयू से भी वार्ता की गई है। मौखिक रूप से तो सीडब्लूसी ने सहमति दी है, लेकिन रविवार होने के कारण लिखित रूप से निर्देश नहीं मिले हैं। सोमवार को ही निर्णय होने की उम्मीद है।