कहां खो गया ये हनीमून कपल? सिक्किम से मायूस लौटे परिजनों की टूटी उम्मीदें, दो हफ्तों से हैं लापता

Edited By Anil Kapoor,Updated: 13 Jun, 2025 11:43 AM

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Pratapgarh News: उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले से हनीमून मनाने सिक्किम गया नवविवाहित जोड़ा एक दिल दहला देने वाले हादसे का शिकार हो गया। 29 मई को गंगटोक से लौटते समय इनकी वैन 1000 फीट गहरी खाई में गिरकर तीस्ता नदी में समा गई। हादसे के बाद से...

Pratapgarh News: उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले से हनीमून मनाने सिक्किम गया नवविवाहित जोड़ा एक दिल दहला देने वाले हादसे का शिकार हो गया। 29 मई को गंगटोक से लौटते समय इनकी वैन 1000 फीट गहरी खाई में गिरकर तीस्ता नदी में समा गई। हादसे के बाद से कौशलेंद्र प्रताप सिंह और उनकी पत्नी अंकिता सिंह का अब तक कोई सुराग नहीं मिला है। हादसे को 2 हफ्ते से अधिक समय बीत चुका है, लेकिन खोजबीन में लगी टीमें अभी तक नतीजे पर नहीं पहुंच सकी हैं।

परिवार की टूटी उम्मीदें, धार्मिक अनुष्ठान में जुटा गांव
प्रतापगढ़ के राहाटीकर गांव निवासी कौशलेंद्र (32) और अंकिता (नवविवाहिता) की शादी के कुछ दिन बाद ही 25 मई को वे हनीमून के लिए सिक्किम रवाना हुए थे। लेकिन 29 मई को मंगन जिले के मुंशीथांग क्षेत्र में हादसा हो गया। इस वैन में कुल 11 लोग सवार थे, जिनमें से एक की मौत हो चुकी है, 2 घायल हैं और 8 अभी भी लापता हैं। लापता जोड़े की सूचना मिलने पर उनके पिता शेर बहादुर सिंह, अंकिता के भाई और अन्य परिजन तुरंत गंगटोक पहुंचे और राहत व बचाव कार्य का जायजा लिया। लेकिन लगातार खराब मौसम और तीव्र जलधारा की वजह से सर्च ऑपरेशन में रुकावटें आ रही हैं। परिजनों ने बताया कि कुछ यात्रियों का सामान बरामद हुआ है, लेकिन अभी तक कौशलेंद्र और अंकिता का कोई पता नहीं चल पाया है।

सरकारी तंत्र पर उठे सवाल
शेर बहादुर सिंह ने आरोप लगाया कि हादसे से पहले ही मौसम विभाग ने 22 मई को रेड अलर्ट जारी किया था, बावजूद इसके पर्यटकों को संवेदनशील क्षेत्रों में भेजा गया। उन्होंने यह भी बताया कि हादसे के बाद राहत कार्य अधूरा छोड़ दिया गया था और अगले दिन जब सर्च दोबारा शुरू हुआ, तो ना तो गाड़ी का पता चला और ना ही टीमें दिखाई दीं।

गांव में पसरा मातम, शुरू हुआ महामृत्युंजय जाप
सिक्किम से लौटते ही शेर बहादुर अपने गांव पहुंचे, जहां उनके आगमन के साथ ही मातमी सन्नाटा पसर गया। कौशलेंद्र की मां बार-बार बेहोश हो रही हैं, और पूरे गांव में शोक की लहर दौड़ गई है। परिवार ने अब धार्मिक सहारे की ओर रुख किया है।कौशलेंद्र के दादा और भाजपा नेता डॉ. उम्मेद सिंह के नेतृत्व में गांव के दुर्गेश्वरी धाम में 51 हजार महामृत्युंजय मंत्रों के जाप का आयोजन किया गया है, जो पांच दिन तक चलेगा। गांववाले और रिश्तेदार इसी प्रार्थना में जुटे हैं कि कौशलेंद्र और अंकिता सुरक्षित मिलें।

मदद की उम्मीद, लेकिन समर्थन नहीं मिला
परिवार का कहना है कि उन्होंने राज्य सरकार, सेना, प्रशासन से लेकर सिक्किम के डीजीपी और राज्यपाल तक से मदद की गुहार लगाई, लेकिन अब तक कोई ठोस परिणाम नहीं मिला है। शेर बहादुर ने बताया कि भाजपा कार्यकर्ता होने के बावजूद उन्हें पार्टी स्तर से कोई विशेष सहयोग नहीं मिला। हालांकि, कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी ने मामले में दखल देते हुए सिक्किम के राज्यपाल से बात की है।

राहत कार्य जारी, लेकिन परिणाम अधर में
एसडीआरएफ, एनडीआरएफ, सेना और स्थानीय प्रशासन की टीमें लगातार राहत और बचाव कार्य में लगी हुई हैं, लेकिन नदी की तेज धार और मौसम की खराबी उनकी राह में बड़ी बाधा बन रही है। अब तक न तो कोई शव मिला है और न ही इस बात की पुष्टि हो पाई है कि लापता लोग वास्तव में नदी में समा गए हैं या नहीं। इस हादसे ने ना सिर्फ एक परिवार को तोड़ कर रख दिया है, बल्कि पर्यटन व्यवस्था और आपदा प्रबंधन पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

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