मिशन 2024: चुनावी रणनीति में बड़ा बदलाव करने की तैयारी में भाजपा

Edited By Ajay kumar,Updated: 19 Jan, 2023 04:46 PM

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विपक्षी पार्टियों की तरह भारतीय जनता पार्टी का राष्ट्रीय नेतृत्व मिशन 2024 के मद्देनजर चुनावी रणनीति में बड़ा बदलाव करने की तैयारी में है। इस बार एजेंडा अपनी व्यापक परिभाषा के साथ सर्वसमाज को जोड़ने जा रहा है।

लखनऊः विपक्षी पार्टियों की तरह भारतीय जनता पार्टी का राष्ट्रीय नेतृत्व मिशन 2024 के मद्देनजर चुनावी रणनीति में बड़ा बदलाव करने की तैयारी में है। इस बार एजेंडा अपनी व्यापक परिभाषा के साथ सर्वसमाज को जोड़ने जा रहा है। भाजपा से जोड़ो अभियान की मंशा यही होगी। इसे कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा का प्रभाव कहें या समय की मांग, इस बार भाजपा समाज के सभी वर्गों खासकर मुस्लिम समाज तक पहुंच बनाने को तैयार हैं। इतना ही नहीं भाजपा की नजर प्रवासी भारतीयों को भी यहां के चुनाव से जोडने की है।

सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास के मंत्र से फिर आगे बढ़ने की तैयारी
मंगलवार को भाजपा की दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यकारिणी के समापन पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक बार फिर से सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास की मंशा को स्पष्ट किया। यह मंत्र उन्होंने 2019 में सत्ता संभालने के बाद दिया था। पार्टी ही नहीं मोदी भी जानते हैं कि तीसरी बार पार्टी की सत्ता में वापसी की डगर पिछली बार के मुकाबले कठिन है। इसलिए उन्होंने इस बार के चुनाव में खासतौर से मुस्लिम वर्ग को नरेन्द्र मोदी सभी राज्यों की सरकारों का प्रयास किया कि केन्द्र और राज्य सरकार की योजनाओं का लाभ बगैर भेदभाव सभी वर्गों को दिया जा रहा है। 

प्रधानमंत्री ने सभी वर्गों के बीच जाकर संवाद और संपर्क बनाने पर दिया जोर
प्रधानमंत्री ने अपने मार्गदर्शन भाषण में इस बात पर जोर दिया कि लोकसभा चुनाव के बचे 400 दिन में बचे सभी वर्गों के बीच जाकर संवाद और संपर्क बनाएं और मुस्लिम वर्ग का विश्वास जीतकर उन्हें अपने साथ लेकर आगे बढ़ें। मोदी इस बात से भलीभांति वाकिफ है कि अगर पिछली बार की तरह या उससे ज्यादा सीटें लोकसभा में लानी हैं तो 40 से 45 फीसद वोट हासिल करने में काम नहीं चलेगा। बल्कि इसका दायरा कम से कम 60 फीसद तो जाना ही चाहिये। तीन चौथायी बहुमत से सरकार बनाने में कामयाब रही।

दिल्ली, पंजाब, झारखंड, बिहार, बंगाल पहले ही हाथ से निकल चुका है
दिल्ली, पंजाब में अरविंद केजरीवाल की प्रचंड बहुमत से सरकार बनी तो उनका नगर निगम पर भी कब्जा हो गया। झारखण्ड और बिहार तो भाजपा के हाथ से निकल ही गया है। इधर, राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा को मिल रहे आपार जनसमर्थन ने भाजपा के केन्द्रीय नेतृत्व की पेशानी पर बल ला दिये हैं। ऐसी स्थिति में अब देखना यह है कि पिछली बार 42 फीसद वोट हासिल कर 303 सीट लाने वाली भाजपा क्या दोबारा इस लक्ष्य को हासिल करेगी?

 

 

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