अयोध्या केस: मुस्लिम पक्षकार के वकील बोले- राम इमामे हिंद, लेकिन विवादित स्थल पर सुन्नी का हक

Edited By Deepika Rajput,Updated: 17 Sep, 2019 02:57 PM

ayodhya case

सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या विवाद की आज 25वें दिन की सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्षकार के वकील राजीव धवन ने अल्लामा इकबाल की ‘है राम के वजूद पे हिन्दोस्तां को नाज, अहल-ए-नज़र समझते हैं उस को इमाम-ए-हिंद' शायरी पेश की।

नई दिल्ली/अयोध्याः सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या विवाद की आज 25वें दिन की सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्षकार के वकील राजीव धवन ने अल्लामा इकबाल की ‘है राम के वजूद पे हिन्दोस्तां को नाज, अहल-ए-नज़र समझते हैं उस को इमाम-ए-हिंद' शायरी पेश की।

राजीव धवन ने कहा कि भगवान राम की पवित्रता पर कोई विवाद नहीं है। इसमें भी विवाद नहीं है कि भगवान राम का जन्म अयोध्या में कहीं हुआ था, लेकिन इस तरह के पवित्र स्थान को एक न्यायिक व्यक्ति में बदलने के लिए पर्याप्त कब होगी? इसके लिए कैलाश पर्वत जैसी अभिव्यक्ति होनी चाहिए। इसमें विश्वास की निरंतरता होनी चाहिए और यह भी दिखाया जाना चाहिए कि निश्चित रूप से वहीं प्रार्थना की गई थी। धवन ने अल्लामा इकबाल की उपरोक्त शायरी का जिक्र करते हुए कहा कि राम इमामे हिंद के समर्थक बन गए थे। ‘जन्मस्थान' एक न्यायिक व्यक्ति नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि जन्माष्टमी भगवान कृष्ण के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है, लेकिन कृष्ण न्यायिक व्यक्ति नहीं हैं।

इस पर जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने राजीव धवन से पूछा, तो क्या आप कह रहे हैं कि कुछ शारीरिक अभिव्यक्ति होनी चाहिए? क्या जगह को व्यक्ति बनाने के लिए मापदंडों को निर्धारित करना बहुत मुश्किल नहीं होगा? राजीव धवन ने इस पर जवाब दिया, कोई भी ग्रंथ ये बताने में सक्षम नहीं है कि अयोध्या में किस सटीक स्थान पर भगवान राम का जन्म हुआ था। शिया वक्फ बोर्ड के दावे को खारिज करते हुए धवन ने दलील दी कि बाबरी मस्जिद वक्फ की संपत्ति है और सुन्नी वक्फ बोर्ड का उस पर अधिकार है।

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