Edited By Ramanjot,Updated: 05 Jun, 2020 01:46 PM
झारखंड जो नाम से ही जंगल-झाड़ का एहसास देता है, जो वनों की भूमि है उस प्रदेश में कई ऐसे पुरोधा भी हैं जो अनवरत इसकी रक्षा-संरक्षा में लगे हैं। विश्व पर्यावरण दिवस पर आपको ऐसे ही एक पुरोधा से रूबरू कराते हैं...
रामगढ़ः झारखंड जो नाम से ही जंगल-झाड़ का एहसास देता है, जो वनों की भूमि है उस प्रदेश में कई ऐसे पुरोधा भी हैं जो अनवरत इसकी रक्षा-संरक्षा में लगे हैं। विश्व पर्यावरण दिवस पर आपको ऐसे ही एक पुरोधा से रूबरू कराते हैं जो तीन दशक से पर्यावरणरक्षक की भूमिका निभा रहे हैं।
झारखंड के रामगढ़ जिला के मांडू प्रखंड स्थित छोटकी डूंडी निवासी वीरू महतो (50 वर्ष) अपने युवा अवस्था में ही जंगल बचाओ आंदोलन का हिस्सा बन गए थे। अपने गांव में लगे जंगल की हरियाली ने इनका मन मोह लिया और वे तीन दशक से जंगल बचाने की मुहिम में जुटे हैं। वीरू महतो ने रामगढ़ वन और बोकारो वन प्रक्षेत्र के तहत पड़ने वाले 661 एकड़ वन भूमि में हजारों पौधे लगाए और उन्हें संरक्षित किया जो अब घने जंगल के रूप में बदल चुका है। उनके पर्यावरण संरक्षण के लिए किए गए समर्पण को लेकर रामगढ़ और बोकारो वन प्रमंडल द्वारा 2016-17 में उन्हें आठ लाख रुपए की प्रोत्साहन राशि भी दी गई है।
जंगल में ही घर बनाकर सपरिवार रहने वाले पर्यावरण प्रेमी वीरू महतो का कहना है कि बचपन में उन्होंने पूरे क्षेत्र को चारों तरफ जंगल से घिरा देखा था जिसमें कई किस्म के जंगली जानवर भी थे। पढ़ाई के दौरान पर्यावरण के विषय में जानने को मिला और इसका दुष्परिणाम भी पता चला। महतो ने विश्व पर्यावरण दिवस पर सभी को बधाई देते हुए कहा कि अपने जीवन में कम से कम एक पेड़ जरूर लगाएं, उनसे दोस्ती करें वो भी इंसानो की तरह जज्बाती हैं बाते करते है।