Edited By Punjab Kesari,Updated: 08 Nov, 2017 03:52 PM
उत्थान की सरकारी योजनाएं और घोषणाएं भी किसानो की मौतों के सिलसिले को रोकने में नाकाम साबित हो रही हैं। आए दिन कभी कर्ज और आर्थिक तंगी तो कभी फसल बर्बादी के चलते किसान आत्महत्या....
बांदाः उत्थान की सरकारी योजनाएं और घोषणाएं भी किसानों की मौतों के सिलसिले को रोकने में नाकाम साबित हो रही हैं। आए दिन कभी कर्ज और आर्थिक तंगी तो कभी फसल बर्बादी के चलते किसान आत्महत्या करने को मजबूर हो रहे हैं। ताजा मामला बांदा का है। जहां आर्थिक तंगी, कर्ज और फसल की बर्बादी के चलते फिर एक किसान ने आत्महत्या कर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली है।
दरअसल मामला बबेरू कोतवाली क्षेत्र के पतवन गांव का है। जहां दयाराम (45 वर्षीय) किसान ने अपने खेत में लगे बबूल के पेड़ में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। मृतक के पिता के नाम कुल 4 बीघा कृषि भूमि है। जिसको मृतक दयाराम ही संभालता था। खेती के बीज और खाद पानी के लिए पिता ने 40 हजार का बैंक से लोन भी ले रखा था जो बढ़कर दुगुना हो गया था।
परिजनों की मानें तो दयाराम काफी दिनों से परेशान चल रहा था। खेत में जो फसल हुई थी,उसे जानवर उजाड़ गए। साथ ही दयाराम पर साहूकारों का कुछ कर्ज़ भी था। इसके अलावा मृतक की 3 बेटियां थी, जिनमें 2 शादी लायक थी। जिसके चलते भी दयाराम काफी परेशान रहता था। दयाराम मंगलवार को घर से खेत में रखवाली करने को कह कर गया था। बुधवार ग्रामीणों ने उसका शव पेड़ पर लटकते देखा तो परिजनों को इसकी सूचना दी।
वहीं सूचना मिलने पर मौके पर पहुंची पुलिस ने मृतक के शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। जब इस पूरे मामले में जिलाधिकारी से बात की गई तो उन्होेने भी रटारटाया जवाब दिया। डीएम का कहना है कि मामले की जांच कराई जा रही है और जो भी तथ्य सामने निकल कर आएंगे उस हिसाब से कार्रवाई की जाएगी।