Edited By Punjab Kesari,Updated: 06 Mar, 2018 02:34 PM
राज्यसभा चुनाव के लिए चुनाव आयोग द्वारा अधिसूचना जारी करने के बाद उत्तर प्रदेश में 10 सीटों के लिए नामाकंन प्रक्रिया मंगलवार यानि आज से शुरू हो गई। राज्यसभा चुनाव के लिए सपा और बसपा के गठजोड़ के बाद दसवीं सीट पर बसपा उम्मीदवार की जीत की संभावना...
लखनऊः राज्यसभा चुनाव के लिए चुनाव आयोग द्वारा अधिसूचना जारी करने के बाद उत्तर प्रदेश में 10 सीटों के लिए नामाकंन प्रक्रिया मंगलवार यानि आज से शुरू हो गई। राज्यसभा चुनाव के लिए सपा और बसपा के गठजोड़ के बाद दसवीं सीट पर बसपा उम्मीदवार की जीत की संभावना प्रबल हो गई है। 10 में से 8 सीटों पर सत्तारूढ भारतीय जनता पार्टी उम्मीदवारों के निर्विरोध चुने जाने के आसार हैं जबकि एक पर सपा की जीत पक्की है।
विधानसभा में प्रमुख सचिव और निर्वाचन अधिकारी प्रदीप कुमार दुबे ने बताया कि अधिसूचना जारी हो चुकी है और अब उम्मीदवार पर्चा दाखिल कर सकते हैं। हालांकि पहले दिन किसी भी दल के उम्मीदवार ने नामाकंन नहीं भरा। लगभग सभी प्रमुख दलों ने अब तक अपने प्रत्याशियों के नाम तय नही किए है। दुबे ने कहा कि नामाकंन पत्र दाखिल करने की आखिरी तारीख 12 मार्च है। इसके अगले दिन नामाकंन पत्रों की जांच की जाएगी जबकि नाम वापसी की आखिरी तारीख 15 मार्च है। अगर जरूरी हुआ तो 23 मार्च को मतदान सम्पन्न होगा और उसी दिन मतों की गिनती कर परिणाम घोषित किए जाने की संभावना है।
उत्तर प्रदेश विधानसभा में संख्या बल के लिहाज से विपक्ष के खाते में राज्यसभा की 2 सीटें आ सकती है बशर्ते सपा, बसपा,कांग्रेस और रालोद एकजुट हों। इस अहम चुनाव में भाजपा केन्द्रीय वित्त मंत्री अरूण जेटली समेत राज्य के कुछ अन्य वरिष्ठ नेताओं के नामों पर विचार कर सकती है। राज्यसभा चुनाव में प्रत्याशियों के चयन के लिए भाजपा बैठक आयोजित कर रही है। सूत्रों के अनुसार पार्टी के संभावित उम्मीदवारों की फेहरिस्त में पूर्व प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मी कांत बाजपेई का नाम सबसे ऊपर है।
बाजपेई को हालांकि पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव में मेरठ सीट से हार का सामना करना पडा था। यहां यह देखना दिलचस्प होगा कि विवादित बयानों के कारण मशहूर फायर ब्रांड नेता विनय कटियार को भाजपा राज्यसभा के लिए फिर से मौका देती है कि नहीं। दूसरी ओर अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली सपा विधानसभा में 47 सीटों पर काबिज है और इस लिहाज से यह दल राज्यसभा की एक सीट का दावेदार है जबकि उसके दस विधायक फिर भी अन्य सीट के उम्मीदवार को समर्थन देने के लिए बचे रहेंगे। उधर बसपा के 19,कांग्रेस के सात और रालोद का एक विधायक के अलावा सपा के 10 विधायक साथ हो लिए तो विपक्ष के खाते में एक और सीट आ सकती है।