कवि साहित्यकार हरीश चन्द्र पाण्डे ने कहा- जो सार्थक है, वही समकालीन है

Edited By Nitika,Updated: 27 Mar, 2022 01:07 PM

statement of harish chandra pandey

समकालीनता केवल काल विशेष से संबद्ध नहीं होती। केवल नया ही समकालीन नहीं होता बल्कि जो सार्थक है वही समकालीन है। यहां सार्थकता का तत्व महत्वपूर्ण है।

 

नैनीतालः समकालीनता केवल काल विशेष से संबद्ध नहीं होती। केवल नया ही समकालीन नहीं होता बल्कि जो सार्थक है वही समकालीन है। यहां सार्थकता का तत्व महत्वपूर्ण है। निरर्थक नया, कविता के किसी काम का नहीं। कविता में समकाल को एकदम घटनाओं की वर्तमानता के परिप्रेक्ष्य में ही देखा जाना उचित नहीं।

उक्त विचार प्रतिष्ठित ‘सर्जना' पुरस्कार, केदार सम्मान, ॠतुराज सम्मान एवं कविवर हरिनारायण व्यास सम्मान से नवाजे गए सुप्रसिद्ध कवि-साहित्यकार हरीश चन्द्र पाण्डे ने कवयित्री महादेवी वर्मा के 115वें जन्मदिन के अवसर पर कुमाऊं विश्वविद्यालय की रामगढ़ स्थित महादेवी वर्मा सृजन पीठ में ‘कविता में समकाल' विषय पर नवां महादेवी वर्मा स्मृति व्याख्यान देते हुए व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि अगर छायावाद के समकाल को लें तो पंत, प्रसाद, निराला और महादेवी चारों कविता के भिन्न समकालीन स्वर हैं। इनमें निराला की कविता अपने समकाल के अधिक निकट खड़े लगती है। पाण्डे ने कहा कि पिछले वर्षों में समकालीन हिंदी कविता में आदिवासी कविता ने अपनी विशेष और उल्लेखनीय उपस्थिति दर्ज करवाई है। जल, जमीन, जंगल से जुड़े अपने अस्तित्वमूलक प्रश्नों के साथ आदिवासी कविता शिल्प में भी मुख्यधारा की कविता के साथ खड़ी है।

अध्यक्षीय सम्बोधन में कुमाऊं विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एनके जोशी ने कहा कि हिंदी साहित्य की विदुषी कवयित्री महादेवी वर्मा ने रामगढ़ में भवन बनवाकर यहां जो साहित्य सृजन किया, वह साहित्य जगत की अमूल्य धरोहर है। उनके द्वारा उमागढ़ को साहित्य सृजन के लिए चुना जाना हम सब के लिए गौरव की बात है। इससे इस स्थान को राष्ट्रीय पहचान मिली है। यह कुमाऊं विश्वविद्यालय के लिए भी गौरव की बात है कि उसे प्रदेश सरकार ने इस महत्वपूर्ण धरोहर के संरक्षण की जिम्मेदारी सौंपी है। विश्वविद्यालय द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अंतर्गत मातृभाषा संरक्षण की दिशा में भी प्रयास किए जा रहे हैं और इससे जुड़े कुछ पाठ्यक्रम भी विश्वविद्यालय शीघ्र संचालित करेगा।

स्वागत संबोधन में महादेवी वर्मा सृजन पीठ के निदेशक प्रो. शिरीष कुमार मौर्य ने कहा कि कोरोनाकाल में भी पीठ की साहित्यिक गतिविधियों को जीवंत बनाए रखने का प्रयास किया गया। इस क्रम में अब तक पीठ द्वारा 40 प्रमुख साहित्यकारों के ऑनलाइन माध्यम से व्याख्यान और रचना पाठ के कार्यक्रम आयोजित किए जा चुके हैं। पीठ इस वर्ष महादेवी जी की जयन्ती से सामूहिक भागीदारी के आयोजन भी प्रारंभ कर रही है।
 

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