उत्तराखंड का राजकीय पुष्प ब्रह्मकमल, जानिए इसका इतिहास और मान्यताएं

Edited By Anil Kapoor,Updated: 23 Sep, 2020 05:33 PM

state flower of uttarakhand brahmakamal

ब्रह्मकमल उत्तराखंड का राज्य पुष्प है। ब्रह्मकमल का अर्थ है ब्रह्म का कमल, ब्रह्मकमल की उत्पत्ति ब्रह्मा जी के नाम से हुई है। ब्रह्मकमल 3000 से 5000 मीटर की ऊँचाई में पाया जाता है। इसकी भारत में लगभग....

उत्तराखंड: ब्रह्मकमल उत्तराखंड का राज्य पुष्प है। ब्रह्मकमल का अर्थ है ब्रह्म का कमल, ब्रह्मकमल की उत्पत्ति ब्रह्मा जी के नाम से हुई है। ब्रह्मकमल 3000 से 5000 मीटर की ऊँचाई में पाया जाता है। इसकी भारत में लगभग 61 प्रजातियां पाई जाती हैं, जिनमें से लगभग 58 तो अकेले हिमालयी इलाकों में ही होती हैं।PunjabKesariजानकारी मुताबिक ब्रह्मकमल फूल में कई औषधीय गुण भी पाए जाते हैं। इसके राइजोन में एन्टीसैप्टीक होता है जिस वजह से इसका उपयोग जले-कटे में किया जाता है। गर्म कपड़ों में डालकर रखने से यह कपड़ो में कीड़ा नहीं लगने देता। इस पुष्प का इस्तेमाल सर्दी-जुकाम हड्डी के दर्द आदि में भी किया जाता है। इस फूल की सुगन्ध इतनी तीव्र होती है कि इसको हल्का सा छू लेने से ही काफी समय तक महसूस किया जा सकता है।

PunjabKesariब्रह्मकमल का वानस्पतिक नाम सोसेरिया ओबोवेलाटा है। यह एसटेरेसी वंश का पौधा है। इसका नाम स्वीडर के वैज्ञानिक डी सोसेरिया के नाम पर रखा गया था। ब्रह्मकमल को अलग-अगल जगहों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है। जैसे उत्तरखंड में ब्रह्मकमल, हिमाचल में दूधाफूल, कश्मीर में गलगल और उत्तर-पश्चिमी भारत में बरगनडटोगेस नाम से इसे जाना जाता है।

PunjabKesariमाना जाता है कि ब्रह्मकमल एक ऐसा फूल है जिसे जो कोई भी खिलते देखता है उसमें सकारात्मकता का संचार होता है। ब्रह्मकमल फूल अगस्त के महीने में खिलता है। सितम्बर, अक्टूबर में इसमें फल बनने लगते हैं। इसका जीवन 5 या 6 महीने का होता है। ब्रह्मकमल माँ नंदा का प्रिय पुष्प हैं, इसलिए इसे नंदा अष्टमी में तोड़ा जाता है। ब्रह्मकमल साल में एक बार खिलता है जोकि सिर्फ रात के समय खिलता है और सुबह होते ही मुरझा जाता है। इसी गुण के कारण इसे शुभ माना जाता है।

PunjabKesariब्रह्मकमल भारत के उत्तराखंड, सिक्किम, अरूणाचल प्रदेश, कश्मीर में पाया जाता है। भारत के अलावा यह नेपाल, भूटान, म्यांमार, पाकिस्तान में भी पाया जाता है। उत्तराखंड में यह पिण्डारी, चिफला, रूपकुंड, हेमकुण्ड, ब्रजगंगा, फूलों की घाटी, केदारनाथ आदि जगहों में इसे आसानी से पाया जाता है।

विभिन्न भाषाओं में ब्रह्मकमल का नाम :

हिंदी                      ब्रह्मकमल

संस्कृत                  ब्रह्मकमल

पहाड़ी                   सर्जकौल

पंजाबी               विर्म कबल, कंबल

लैटिन              सौसुरिया आबवेलेटा

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